हैजा एक ऐसी बीमारी है जिसमें bacteria (Vibrio cholerae) के पानी या भोजन में होने की वजह से पाचन शक्ति खराब हो जाती है और तीव्र (severe) डायरिया (diarrhoea) हो जाता है। अगर इसका सही समय पर इलाज न किया जाए तो कुछ ही घंटे में मरीज इसकी वजह से मर भी सकता है।हैजा के लक्षण: इसके लक्षण दिखने में लगभग 12 घंटे से लेकर 5 दिन का समय लग सकता है। कुछ मरीजों को एकदम पानी जैसा दस्त हो जाता है।अगर इलाज न किया जाए तो इससे मृत्यु भी हो सकती है।हैजा के उपचार: हैजा का उपचार आसानी से किया जा सकता है। जल्दी से जल्दी मरीज को ORS (oral rehydration solution) पिलाया जाना चाहिए। गंभीर मामलों में कुछ उचित antibiotics के साथ-साथ नसों के माध्यम से तरल पदार्थ दिए जाने चाहिए जो कि दस्त की अवधि को कम करने एवं तरल पदार्थ की आवश्यकता को कम करने में मदद करता है।Source:- 1. https://www.who.int/news-room/fact-sheets/detail/cholera
चिकनगुनिया: चिकनगुनिया मच्छरों Aedes (Stegomyia) aegypti and Aedes (Stegomyia) albopictus, द्वारा फैलता है। यही मच्छर डेंगू और जीका वायरस भी फैला सकते हैं।चिकनगुनिया के लक्षण: इसके लक्षण आमतौर पर मच्छर के काटने के 2 से 12 दिनों के भीतर दिखना शुरू होते हैं। इसमें जोड़ों के दर्द के साथ-साथ अचानक बुखार आता है जो कुछ दिनों से लेकर कुछ वर्षों तक बना रह सकता है। जोड़ों में सूजन, मांसपेशियों में दर्द, सिर दर्द, उल्टी आना, थकान और त्वचा पर चकत्ते (rashes) भी कुछ अन्य लक्षण है। कभी-कभी आंख एवं हृदय से संबंधित परेशानियों के मामले भी देखे गए हैं।चिकनगुनिया से बचाव के कुछ तरीके: मच्छरों के काटने से बचना ही सबसे अच्छा बचाव है। जिन भी चीजों में पानी भरा हो उन्हें हर हफ्ते खाली करके साफ किया जाए, कूड़े को सही जगह फेका जाए, समुदाय में किसी भी तालाब या वस्तु में पानी जमा न होने दे क्योंकि रुके हुए पानी में मच्छर अंडे देते हैं एवं पानी से भरी वस्तुओं में उचित कीटनाशक जरूर लगाए। ऐसे कपड़े पहने जो आपके शरीर को ज्यादा से ज्यादा ढक सके, सोते समय मच्छरदानी का उपयोग करें, घर की जाली की खिड़कियां बंद रखें, खुली त्वचा या कपड़ों पर मच्छर भगाने वाली वस्तुओं (repellants) का उपयोग करें (containing DEET, Icaridin or IR3535)।चिकनगुनिया के उपचार: बुखार एवं जोड़ों के दर्द के लिए anti-pyretics और analgesics दिए जाते हैं, बहुत अधिक मात्रा में पानी या कोई भी तरल पदार्थ पीने से और आराम करने से इसका उपचार हो सकता है। इसके इलाज के लिए कोई antiviral दवा मौजूद नहीं है। जब तक यह पक्का ना हो जाए कि मरीज डेंगू से पीड़ित नहीं है तब तक दर्द से आराम और बुखार को कम करने के लिए Paracetamol or acetaminophen दिया जाता है।Source:-https://www.who.int/news-room/fact-sheets/detail/chikungunya
Senior citizens यानी वो लोग जिनकी उम्र 60 साल से ज्यादा होती है, उनमें अकेलापन और social isolation काफ़ी ज़्यादा पाया जाता है।Loneliness का मतलब लोगों के भीड़ में होके भी अकेला महसूस करना होता है।Social isolation का मतलब है कि, कोई इंसान जिसको उसके परिवार वालों ने, या जान-पहचान वालों ने अकेला छोड़ दिया हो।American journal के एक review study के मुताबिक, ऐसे लोगों में भूलने की बीमारी का risk 50 गुना बढ़ जाता है, साथ ही heart disease से होने वाली मौत का risk 29% बढ़ जाता और premature death यानी समय से पहले होने वाली मौत का risk भी बढ़ जाता है।Senior citizens में अकेले होने के कारण हैं:बच्चे parents के साथ नहीं रहते या फिर घर से दूर रहते होंअपने partner यानी husband या wife की death हो चुकी होजान-पहचान वाले या दोस्तों की death हो चुकी होकोई बात करने को नहीं होताSociety में ज़्यादा लोगों को जानते नहीं हैंया retirement के बाद घर पे अकेले होऔर रोज़ाना कोई भी ऐसा काम ना करना जिससे आप busy रह सकेंये सारे problems हमारे parents, grand parents यानी senior citizens में अकेलापन या social isolation का कारण होते हैं। और यही अकेलापन और social isolation के कारण parents में depression, anxiety और suicide का rate भी बहुत ज़्यादा है।इसलिए ज़रूरी है कि हम अपने parents या grand parents से बात करते रहें, उनके साथ time spend करें, उनको किसी काम में busy रखें, या फिर उनके health के लिए उन्हें किसी yoga class में join करवा दें ताकि वो खुद को अकेला महसूस न करें और healthy रह सकें।
आज के समय में parenting एक चुनौती बन गई है और आज के parents अपने बच्चों पर चिल्लाना या उन्हें मारना नहीं चाहते।क्या वे सही कर रहे हैं?जी हां, क्योंकि यह साबित हो चुका है कि "चिल्लाना" और "मारना" कभी भी मदद नहीं करते।लेकिन माता-पिता कभी-कभी इतना परेशान और नाराज हो जाते हैं, कि वह बच्चों पर चिल्लाने लगते हैं और कभी-कभी तो मार भी देते हैं। साथ ही हम कभी-कभी उन्हें “गंदा बच्चा” भी बोल देते हैं। याद रखिए बच्चा कभी भी गंदा या बुरा नहीं होता, अगर कुछ बुरा होता है तो वह है उनका व्यवहार, जिसे देर होने से पहले अनुशासित करने की जरूरत होती है।क्या आपके साथ भी ऐसा होता है और आप भी बाद में बुरा महसूस करते हैं?आज हम आपको बच्चों को अनुशासित करने के लिए पांच आसान उपाय बताएंगे:उनके साथ समय बिताएं: अपने बच्चों के साथ अच्छे संबंध बनाने के लिए उनके साथ विशेष समय बिताना बहुत जरूरी है। चाहे सिर्फ 10 या 20 मिनट का ही समय हो लेकिन उसमें आपको टीवी या मोबाइल बंद कर देना है और सिर्फ अपने बच्चों पर पूरा ध्यान देना है।वे जो अच्छा कर रहे हैं उसकी प्रशंसा करें: माता-पिता आमतौर पर गलत व्यवहार को पकड़कर उन्हें सुधारने के लिए बच्चों को समझाने लगते हैं। लेकिन, जब भी हम अपने बच्चों की प्रशंसा करते हैं, तो वे अच्छा महसूस करते हैं। इससे अच्छे व्यवहार को प्रोत्साहित करने में मदद मिलती है।अपनी बात को सीधी तरह रखें: जब भी आप बच्चे से कुछ कहे तो अपनी बात को सीधे तरीके से कहे। जैसे कि अगर आप चाहते हैं कि वे खेलने के बाद अपने खिलौने समेट कर रखे। तो यह न कहें कि "अपने खिलौने यहां मत छोड़ना" बल्कि कहें "खेलने के बाद अपने खिलौने डिब्बे में रख देना"। इससे आपके बच्चे को आपकी अपेक्षाओं के बारे में स्पष्ट जानकारी मिलती है।बच्चों का ध्यान भटकाएँ: ऐसे क्षण में जब आपका बच्चा बहुत चिड़चिड़ा या जिद्दी हो रहा हो, तो उसका ध्यान किसी positive activity की तरफ भटका देना हमेशा अच्छा होता है, जैसे कि उसके साथ थोड़ा खेलना शुरू कर दें या विषय बदल दें या फिर कहीं टहलने चले जाएं। ठीक समय पर ध्यान भटकाना बहुत जरूरी है, इसलिए इससे पहले कि बच्चों का व्यवहार कठोर हो जाए, उसका ध्यान भटका दे। अपने बच्चों के हिसाब से उसका ध्यान भटकाने का सही तरीका चुनें।गलत व्यवहार के परिणामों के बारे में बताएं: अगर वे कोई गलत बात करते हैं तो नाराज होने की बजाय उन्हें इसके परिणाम बताएं। जैसे कि अगर आप चाहते हैं कि वे खेलने जाने से पहले अपना homework पूरा कर लें तो बस कहें "आप अपना homework पूरा किए बिना खेलने के लिए बाहर नहीं जा सकते"। यह उनके लिए एक छोटी सी चेतावनी है कि वे अपना व्यवहार बदल लें।source: https://www.unicef.org/parenting/child-care/how-discipline-your-child-smart-and-healthy-way#:~:text=Use calm consequences&text=Give your child a chance,will end their play time.
क्या आप भी Spine की समस्याओं से जूझ रहे हैं? Dr. Adil Ahmad Karnul के साथ हमारे लेटेस्ट podcast में शामिल हों और spine safety, injury prevention, और spinal care से संबंधित महत्वपूर्ण tips जानें।"Talk to Doc" के सातवें एपिसोड में, Medwiki द्वारा संचालित, हमारी host Prerna के साथ Dr. Adil Ahmad Karnul spine health और safety पर एक जानकारीपूर्ण चर्चा करेंगे। इस एपिसोड में, Dr. Karnul सड़क दुर्घटनाओं, workplace incidents, और surgeries जैसी स्थितियों में spine की सुरक्षा के उपाय बतायेंगे। वे spine को healthy बनाए रखने और injuries से बचाव के लिए जरूरी precautions और tips पर भी चर्चा करेंगे।Dr. Adil Ahmed Karnul एक अत्यंत कुशल neurosurgeon हैं, जिनका medical background बेहद प्रभावशाली है। उन्होंने MBBS की डिग्री हासिल की है, जिसके बाद उन्होंने General Surgery में MS किया, और Neurosurgery में MCh के साथ अपनी विशेषज्ञता को और बढ़ाया। Dr. Karnul को जटिल neurological conditions और spinal disorders के इलाज में विशेषज्ञता हासिल है, और वह अपने practice में गहन ज्ञान और अनुभव का समावेश करते हैं। उनकी patient care के प्रति निष्ठा और neurosurgical techniques की गहरी समझ उन्हें अपने क्षेत्र में एक सम्मानित व्यक्तित्व बनाती है।
क्या कभी ऐसा हुआ है कि आप अभी अभी पढ़ने बैठे हैं, पूरी तैयारी के साथ और आधा घंटा भी नहीं हुआ कि आपको आलस आ रहा है, आपकी पलकें भारी हो रही हैं, और आप बस सो जाना चाहते हो, जबकि आपको पढ़ाई करनी चाहिए।Don't worry इसमें सिर्फ आप ही नहीं हैं, बहुत से लोगों को ऐसा ही होता है।पर ऐसा क्या करें कि पढ़ते वक्त नींद न आए और पढ़ाई पूरी हो जाए?आज के वीडियो में हम ऐसे 5 tips बताएंगे जिसे follow कर के आपको पढ़ते समय नींद नहीं आएगी। आइए start करते हैं:अच्छे से नींद पूरी करें: आप सोच रहे होंगे यहां नींद भगाने की बात हो रही है, और मैं सोने को बोल रही हूँ।वो इसलिए क्योंकि जब आप नींद अच्छे से नहीं लेते तो आपका focus, concentration, और memory weak होने लगती है। तो रोज़ का एक sleep time बनाएँ और कम से कम 6 घंटे की नींद लीजिए। और ध्यान रहे कि आप रोज़ एक समय पे सोने जाएँ, जैसे रोज़ रात 10 बजे से सुबह 4 बजे तक।अच्छी Light में पढ़ाई करें: अगर आप light on कर के और light वाले room में पढ़ाई करते हैं तो आपका brain active रहता है और नींद नहीं आती। लेकिन अगर आप dim light में पढ़ाई करते हैं तो body में melatonin produce होने लगता है जिससे आपको नींद आने लगती है।Bed पे पढ़ाई न करें: वो इसलिए क्योंकि आपके bed पर आपकी body comfortable होने लगती है, और आप सुस्त होने लगते हैं, जिससे आपका focus पढ़ाई से हट कर नींद पे चला जाता है, और आप सो जाते हैं।पानी पीते रहें और हल्का खाना खाएँ: Time to time पानी पीने से आपके brain तक oxygen supply बनी रहती है और आपको नींद नहीं आती, और आपका focus बना रहता है। साथ ही light foods जैसे fruits, dry fruits खाने से आपके brain और body में energy बनी रहती है जिससे आपका brain active रहता है।Chewing gum: Chewing gum चबाने से आपके brain का वो हिस्सा active रहता है जिसमें memory store होती है, जिसे hippocampus कहते हैं। इससे आपका brain alert रहता है और आपको नींद नहीं आती।इसके साथ ही, पढ़ाई के बीच में थोड़ा चलना-फिरना भी याद रखें। Example के लिए, हर 1 घंटे की बैठने के बाद 10-15 मिनट की वॉक करें। इससे आपके शरीर और दिमाग में खून का संचार बेहतर होता है, जिससे आप एक्टिव और जागे रहते हैं।Source:- 1.https://www.researchgate.net/publication/339137655_How_To_Avoid_Sleep_While_Studying 2. https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC4075951/
शाकाहारी लोग ज्यादातर यह कहते हुए पाए जाते हैं कि "हम अंडे, मछली, मांस या चिकन नहीं खाते, हम अपनी प्रोटीन आवश्यकताओं को कैसे पूरा कर सकते हैं?"हम अक्सर इस बात को लेकर चिंतित रहते हैं कि "मुझे एक दिन में कितना प्रोटीन चाहिए"?क्या आप जानते हैं?रोज के खाने से हमें लगभग 60-70 ग्राम प्रोटीन मिल जाता है, जो हमारी आवश्यकता से भी अधिक है। हालाँकि, प्रोटीन की गुणवत्ता और सभी आवश्यक अमीनो एसिड की आवश्यकताओं को पूरा करना एक चुनौती हो सकती है।तो आखिर शाकाहारियों के लिए प्रोटीन की पूर्ति के लिए क्या समाधान है?अनाज और दालों का उचित संयोजनआहार में मेवे और बीज शामिल करेंदैनिक आहार में दूध शामिल करेंयह आपकी आवश्यकता को पूरा करने के लिए उचित प्रोटीन सेवन का एक मंत्र है। शाकाहारी भोजन में प्रोटीन पाचन क्षमता 75 से 85% होती है।आपको कितना प्रोटीन चाहिए?एक स्वस्थ पुरुष एवं महिला को 0.83 gm/kg/day प्रोटीन की जरूरत होती है।क्या अब यह समझना मुश्किल है कि "आपको हर रोज कितने प्रोटीन की आवश्यकता है?"अपने आहार में इन प्रोटीन युक्त चीजों को शामिल करें:दालें: दालें, हरा चना, कुलथी चना, काला चना, चना, राजमा, लोबिया, सोयाबीन और हरी मटर।मेवे और बीज: बादाम, पिस्ता, काजू, अखरोट, हेज़लनट, चिया बीज, कद्दू के बीज, अलसी के बीज और तिल।दूध एवं दूध से बने हुए उत्पादक्या केवल प्रोटीन, मांसपेशियों के निर्माण के लिए पर्याप्त है?नहीं, यह एक मिथ है और हम लोगों को मांसपेशियों के निर्माण के लिए अतिरिक्त प्रोटीन, यहां तक कि प्रोटीन पाउडर का सेवन करते हुए देखते हैं। दरअसल, उच्च स्तर के प्रोटीन का सेवन, विशेष रूप से प्रोटीन सप्लीमेंट के रूप में, recommended नहीं है।आपको पता होना चाहिए:आहार में पर्याप्त कार्बोहाइड्रेट और fat के बिना, प्रोटीन का कुशलतापूर्वक उपयोग नहीं किया जाता है।पर्याप्त शारीरिक गतिविधि के बिना, शरीर सौष्ठव के लिए प्रोटीन का उपयोग नहीं किया जाता है।तो शाकाहारियों, अब प्रोटीन सेवन के बारे में चिंता करना बंद करें, आपका आहार अपने आप में संपूर्ण है।हमारे साथ अपने ऐसे और मिथकों को तोड़ें।Source:- 1.https://main.icmr.nic.in/sites/default/files/upload_documents/DGI_07th_May_2024_fin.pdf
Football legend Sunil Chhetri ne apne interview mein bataya ki mausam chaahe koi bhi ho, wo sirf thande paani se hi nahaate hain.OMG Ah shayad wo Delhi wali winters ke baare mein baat nahin kar rahe hain.Kya, Delhi wali winters mein bhi.Magar issey hamara kya fayda?Circulation aur immune system ko boost karta haiExercise ke baad recovery ko enhance karta haiAlertness aur mental clarity ko badhaata haiSkin aur hair quality improve karta haiWeight loss mein help karta haiStress relieve karta haiSleep quality improve karta haiItne saari fayde!! mujhe to ye change Lana padega. Aap thande paani se nahaate hain ya garam? Comment Karke humey batayen.Source:- https://continentalhospitals.com/blog/8-cold-shower-benefits/
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1 केले में कितना potassium होता है?
Mrs. Prerna Trivedi
M.Sc. Nutrition, Certified Lactation Consultant
पोटैशियम की कमी के नुकसान!
Mrs. Prerna Trivedi
M.Sc. Nutrition, Certified Lactation Consultant
क्या आपकी भूख की वजह हैं आपके hormones?
Mrs. Prerna Trivedi
M.Sc. Nutrition, Certified Lactation Consultant
Diwali ke badle andaaz: patakhe ya diye?
Mrs. Prerna Trivedi
M.Sc. Nutrition, Certified Lactation Consultant