क्या आपने कभी Marijuana या Cannabis (गाँजा) का नाम सुना है? शायद सुना ही होगा! तो, चलिए जानते हैं इनके बारे में कुछ important facts!Marijuana और Cannabis (गाँजा) में क्या फर्क होता है?Cannabis (गाँजा) एक प्रकार का पौधा होता है, जिसमें 500 से भी ज्यादा तरह के chemicals मौज़ूद होते हैं। और Marijuana जो कि Cannabis (गाँजा) पौधे का ही एक रूप है, इसमें Tetrahydrocannabinol (THC) नाम का एक खास chemical ज्यादा मात्रा में होता है। यह chemical दिमाग़ पर असर डालकर, लोगों को hallucinations महसूस कराता है!गाँजा दिमाग पर असर कैसे डालता है?THC हमारे शरीर के Anandamide chemical की तरह काम करता है और दिमाग के कुछ ख़ास हिस्सों में मौजूद receptors से जुड़ जाता है। इस वजह से दिमाग ज्यादा active हो जाता है और लोगों पर अलग-अलग तरह के प्रभाव होते हैं!गाँजा के कुछ आम असर इस प्रकार हैं –चीजें ज़रूरत से ज्यादा चमकदार दिखना, खुशबू ज्यादा तेज महसूस होनाMood अचानक बहुत अच्छा या ख़राब हो जानासोचने और समस्या हल करने में दिक्कत होनाबहुत ज्यादा नींद आना या शरीर बहुत relaxed महसूस होनायादश्स्त कमजोर होना / Confusion महसूस करनाचक्कर आनाशरीर का balance बिगड़ जानाकभी-कभी panic attack या घबराहट होनाअगर गाँजा की ज्यादा मात्रा ले ली जाए, तो इसके प्रभाव और भी गंभीर हो सकते हैं, जैसे –Hallucination – यानी ऐसी चीजें दिखना या महसूस होना जो असल में हैं ही नहींDelusion – यानी किसी गलत बात पर बहुत ज्यादा विश्वास कर लेनाइसके अलावा, गाँजा लेने से कुछ और समस्याएं हो सकती हैं, जैसे –मुंह सूखनाजी मिचलाना या उल्टी जैसा महसूस होनादिल की धड़कन तेज हो जानाबहुत ज्यादा भूख लगनाइसलिए गाँजा का सेवन न करें, क्योंकि यह कई समस्याओं का कारण बन सकता है।Source:-1. https://nida.nih.gov/research-topics/cannabis-marijuana2. https://www.nccih.nih.gov/health/cannabis-marijuana-and-cannabinoids-what-you-need-to-know3. https://www.ncbi.nlm.nih.gov/books/NBK425762/4. https://www.webmd.com/mental-health/addiction/marijuana-use-and-its-effects5. https://www.webmd.com/mental-health/addiction/marijuana-abuse
हमारे पिछले वीडियो में हमने Dyslexia के बारे में बात की थी: Dyslexia क्या है, यह कैसे होता है और यह कितना खतरनाक हो सकता है। आज के वीडियो में हम बात करेंगे की Dyslexia को कैसे diagnose किया जा सकता है। Dyslexia से जूझ रहे लोग अक्सर अपनी परेशानी को manage करने के तरीके खोज लेते हैं, इसलिए वो किस परेशानी से जूझ रहे हैं ये कई बार लोग समझ ही नहीं पाते हैं। किसी से भी share न करना शर्मिंदगी से तो बचा सकता है, लेकिन लोगों से बात करके सही मदद मिल जाने पर स्कूल का सफर और पढ़ाई करना आसान हो सकता है।Dyslexia का पता ज़्यादातर तो बचपन में ही लग जाता है लेकिन कई बार Adolescence और adulthood में भी dyslexia का diagnose होता हैं।किसी को adolescent age में Dyslexia है या नहीं, इसका पता इन कुछ लक्षणों से लगाया जा सकता है:समझदार होने के बावजूद भी सही से ना पढ़ (read) पानाSpelling एंड writing skills का कमजोर होनासमय पर assignments और tests ख़त्म ना कर पानाचीजों का सही नाम न याद रख पानाLists और phone numbers याद न रख पानादाएं - बाएं याद रखने में या नक्शा पढ़ने में मुश्किल होनाविदेशी भाषा समझने में परेशानीइनमें से किसी भी एक लक्षण के होने से यह नहीं पता लग सकता की व्यक्ति को Dyslexia की problem है। लेकिन अगर एक व्यक्ति में इनमें से कुछ लक्षण दिखते हैं तो उसका Dyslexia का test करवा लेना चाहिए।स्कूल में या community में कोई psychologist या reading specialist इस condition को evaluate करके formally Dyslexia का पता लगा सकता है।जितनी छोटी उम्र में Dyslexia का पता लग सके उतना ही अच्छा है।हमें उम्मीद है कि ये video आपके लिए informative रहा होगा। Dyslexia जैसी condition को कैसे manage किया जा सकता है.Source:- https://kidshealth.org/en/teens/dyslexia.html
Dyslexia ये word आप सब ने सुना ही होगा और अगर नहीं याद आ रहा तो चलिए याद दिलाते हैं आपको Movie तारे ज़मीन पर के ईशान की। जी हाँ, इस movie में ईशान को जो परेशानी थी उसे ही कहते हैं Dyslexia.सिर्फ movies में ही नहीं, real life में भी Dyslexia एक common problem है। हमारे प्रिय actors Abhishek Bacchan और Hrithik Roshan भी इससे जूझ चुके हैं। आइये जानते हैं इस condition के बारे में थोड़ा और!Dyslexia क्या है?Dyslexia कोई बीमारी नहीं बल्कि एक ऐसी condition है जिसमें व्यक्ति कुछ भी सीखने में सक्षम नहीं होता। इस condition में लोगों को words और numbers को process करने में बहुत मुश्किल होती है, चाहे वो कितने ही बुद्धिमान हों। यह एक ऐसी condition है जो कि व्यक्ति में जन्म से ही होती है। जिन मां बाप को Dyslexia हो उनके बच्चों को भी ये Dyslexia होने संभावना रहती है। Dyslexia वाले लोग मूर्ख या आलसी नहीं होते। ज्यादातर लोग बहुत बुद्धिमान होते हैं और अपनी पढ़ने की समस्याओं को दूर करने के लिए कड़ी मेहनत भी करते हैं।Dyslexia क्यों होता है?लोगों में Dyslexia तब होता है जब उनका brain किसी information को अलग तरह से process करता है। Dyslexia वाले लोगों में पढ़ते समय दिमाग का अलग हिस्सा काम करता है जबकि बाकी लोगों में दिमाग का अलग हिस्सा काम करता है जिसकी वजह से उनके लिए पढ़ाई करना कठिन को जाता है।Dyslexia से जूझ रहे लोगों को alphabets की sounds को समझने और sounds को जोड़कर word बनाने में बहुत मुश्किल होती ही। जिसकी वजह से उनके लिए छोटे शब्दों को पहचानना और बड़े शब्दों को बोल पाना मुश्किल हो जाता है। सिर्फ words को पढ़ने में ही बहुत समय और focus लगता है, इसलिए शब्दों के अर्थ को समझना बहुत मुश्किल हो जाता है और वह पढ़ाई नहीं कर पाते। Dyslexia से जूझ रहे लोगों को words की spelling, लिखने और कभी-कभी बोलने में भी कठिनाई होती है।कितना खतरनाक है Dyslexia?कुछ लोगों में Dyslexia बहुत severe नहीं होता है। Dyslexia अपने आप ठीक तो नहीं होता, लेकिन सही मदद मिलने पर बहुत से लोग Dyslexia के साथ ही पढ़ना सीख जाते हैं। वो चीज़े सीखने के लिए अलग अलग तरीके try करते हैं। Dyslexia वाले लोग जब पढ़ते हैं तो उनका पढ़ने का तरीका slow हो सकता है और साथ ही वह words को mix up भी कर देते हैं इसलिए अगर कोई और उनके लिए उस information को पढ़े तो वह सुनकर बेहतर याद रख सकते हैं। Dyslexia वाले लोगों को Maths की problems solve करने और spellings याद रखने में भी काफी मुश्किल होती है।Source:- https://kidshealth.org/en/teens/dyslexia.html
ASD की screening mainly छोटे बच्चों के लिए की जाती है ताकि पता लगाया जा सके कि बच्चे में ASD के शुरूआती symptoms तो नहीं हैं। हालांकि, adults के लिए भी ASD की screening की जाती है।बच्चों के मामले में, डॉक्टर 2 साल की उम्र से पहले screening के लिए regular check up करते हैं। ASD के symptoms देखने के लिए उन बड़े बच्चों और adults की भी screening की जा सकती है जिनको कभी ASD diagnose ना हुआ हो।ASD की screening के तो तरीके हैं लेकिन screening से ASD diagnose नहीं किया जा सकता। यदि screening से पता चलता है कि बच्चे में disorder होने के chances हैं, तो ASD का diagnosis करने के लिए और tests की ज़रुरत होती है।बच्चों में ASD की screening:ज़्यादातर बच्चों के डॉक्टर या नर्स ही बच्चों में ASD की screening करते हैं।Questionnaires: इस process में parents से questionnaire भरवाया जाता है जिसमें बच्चे के development और behaviour से सम्बंधित उनके speech, movement, thinking, और emotions, के बारे में प्रश्न होते हैं। देखा गया है कि ASD genes में भी होता है, इसलिए उनसे family history से सम्बंधित प्रश्न भी पूछे जाते हैं।Observation: डॉक्टर/नर्स यह observation करते हैं कि बच्चा कैसे खेलता है और कैसे बातचीत करता है। उदाहरण के लिए, वे observe कर सकते हैं कि बच्चा आपके हंसने पर respond करता है या नहीं या फिर किसी दूसरे व्यक्ति के बुलाने पर उनकी तरफ देखता है या नहीं। Respond ना करना ASD का संकेत हो सकता है।Interactive Screening Test: ये test खेलने की activities जैसा है, जैसे गुड़ियों या अन्य खिलौनों के साथ कोई role play करना। ये test बच्चे के communication skills, social behavior, और दूसरी abilities का पता लगाने में मदद करता है।Adults में ASD की Screening:ASD की screening के लिए, psychologist या psychiatrist ये सब कर सकते हैं:आपकी life से जुड़े रोज़ के challanges के बारे में बात करनाSymptoms से related एक questionnaire भरने के लिए कहनाउन परिवार के लोगों से बात करने की सलाह दे सकते हैं जिन्हे याद हो कि आप बचपन में कैसे थेDepression, ADHD या Anxiety के लिए screening test करना, क्यूंकि ASD से जूझ रहे लोगों में ये सब आज कल बहुत ही आम बात है।याद रखें, इस screening के लिए कोई भी तैयारी की ज़रुरत नहीं है और Autism Spectrum Disorder screening से कोई risks भी नहीं हैं।ASD की screening के लिए doctor से consult करना बेहतर होगा। लेकिन यदि आप पहले से ही अपनी condition को थोड़ा समझना चाहते हैं, तो इस link पर click karke और Medwiki के Mental Health calculator का इस्तेमाल करें।Source:- https://medlineplus.gov/lab-tests/autism-spectrum-disorder-asd-screening/
Autism Spectrum Disorder (ASD) एक condition है जो लोगों के brain development को प्रभावित करती है। यह condition बचपन में शुरू होती है और जीवनभर व्यक्ति इससे जूझता रहता है। Autism Spectrum Disorder की वजह से व्यक्ति का लोगों के साथ बातचीत करने का तरीका, communicate करना और कुछ सीखने का तरीका काफी प्रभावित होते हैं।ASD अलग-अलग लोगों को अलग-अलग तरह से प्रभावित करता है, इसलिए इसको spectrum के नाम से जाना जाता है। कुछ लोग जिन्हें ASD है, उन्हें दूसरों से बात करने या आँखों में देखकर बात करने में कठिनाई हो सकती है। उनके interests काफी अलग हो सकते हैं और कुछ चीज़ों को बार बार repeat करते हैं। जैसे, वह चीजों को व्यवस्थित करने में बहुत समय बिताते हैं या एक ही शब्द को बार बार दोहराते रहते हैं। कभी-कभी ऐसा लगता है जैसे वे अपनी ही दुनिया में हैं।ASD के कुछ common symptoms हैं:Social Interaction और communication में कठिनाई:आँखों में आँखें डालकर बात करने से बचना9 महीने की उम्र में भी अपना नाम सुनकर respond ना करना9 महीने की उम्र में भी ख़ुशी, दुःख, गुस्सा, या चौंकने वाले expressions न दिखा पाना12 महीने की उम्र तक बहुत कम या कोई भी इशारा न करना (जैसे, bye कहने के लिए हाथ भी न हिलाना)18 महीने की उम्र में भी कोई interesting चीज़ दिखाने के लिए उसकी ओर इशारा न करना48 महीने (4 साल) की उम्र में भी खेल खेल में अपने आप को teacher या सुपरहीरो बनने का नाटक न करना60 महीने (5 साल) की उम्र में भी गाना, नाचना या acting न करनाRestricted या Repetitive व्यवहार होना, जैसे:खिलौनों या अन्य वस्तुओं को एक line में लगाना और क्रम बदलने पर परेशान हो जानाWords या sentences को बार-बार दोहरानाखिलौनों के साथ हर बार सिर्फ एक ही तरीके से खेलनाछोटे बदलावों से परेशान हो जानाहाथ और शरीर को हिलाना या खुद को गोल-गोल घुमानाचीजों की sound, smell, taste, feel या look पर कुछ अलग सी प्रतिक्रिया देना।अन्य लक्षण, जैसे:Language skills के development में देरीMovement skills के development में देरीCognitive or learning skills के development में देरीHyperactive, impulsive, और attentive ना रहने वाला व्यवहारमिर्गी या दौरा पडनाUncommon खाने और सोने की आदतेंपाचन तंत्र की समस्याएँ (जैसे, कब्ज़))Uncommon mood या emotional reactionsचिंता, तनाव या बहुत ज़्यादा चिंता करनाबिल्क़ुल डर न लगना या बहुत ज़्यादा डर लगनाइन लक्षणों को सही समय पर समझना बहुत ज़रूरी है ताकि हम सही समय पर इससे जूझ रहे लोगों की भलाई के लिए सही कदम उठा पाएं।Source:- https://www.cdc.gov/autism/signs-symptoms/
Vertigo एक ऐसी condition है जिसमें आपको ऐसा महसूस हो सकता है कि आपके आसपास सबकुछ घूम रहा है, फिर भले ही आप stable क्यों ना हों। इसे हम आम भाषा में "चक्कर आना" भी कहते हैं। यह कोई बीमारी नहीं है, बल्कि किसी और समस्या का लक्षण हो सकता है।Vertigo को घर पर ही ठीक करने के कुछ आसान नुस्ख़े।Vertigo होने का एक main कारण पानी कम पीना होता है। इसलिए दिन भर अच्छे से पानी पिए। एक water bottle भी अपने पास रखें, ताकि आप पानी पीना ना भूलें। और तो और आप अपनी diet में water rich foods जैसे खीरा, टमाटर, तरबूज़, संतरा, स्ट्रॉबेरी और नारियल का पानी शामिल कर सकते हैं।Junk foods जैसे chips, chocolates, cookies और soda खाना avoid करें। ऐसे foods खाने से शरीर में inflammation बढ़ता है और blood circulation ख़राब हो जाता है, जो vertigo को बढ़ाता है। लेकिन अच्छी बात यह है कि आप अपनी diet में Vitamin D rich foods शामिल करके Vertigo को manage कर सकते हैं।Vitamin D rich foods हड्डियों को मज़बूत बनाते हैं और blood circulation को भी बेहतर करते हैं। इसलिए अपनी diet में मशरुम, tuna, salmon, broccoli और cheese शामिल करें।अदरक भी vertigo को ठीक करने में मदद करता है। इसमें मौजूद gingerol और shogaol नाम के compounds blood circulation को बेहतर करते हैं और nervous system को balanced रखते हैं। आप अदरक को कच्चा खा सकते है या फिर अदरक की चाय बनाकर भी पी सकते है।Simple exercises जैसे चलने और योगा करने से vertigo में राहत मिलती है क्योंकि ये exercises शरीर का balance सुधारते हैं और blood circulation को बेहतर करते हैं। वृक्षासन, शवासन, बालासन, और वज्रासन जैसे आसन vertigo को कम करने में मदद करते हैं। ये दिमाग़ को शांत रखते हैं और नसों को मजबूत बनाते हैं।अपना ख्याल रखें और ज़रूरत पड़े तो doctor की मदद लेना ना भूलें।Source:-1. https://www.webmd.com/brain/vertigo-symptoms-causes-treatment2. https://newsinhealth.nih.gov/2021/11/dealing-dizziness3. https://www.ncbi.nlm.nih.gov/books/NBK482356/4. https://pmc.ncbi.nlm.nih.gov/articles/PMC2696792/5. https://www.webmd.com/brain/remedies-vertigo
ADHD का full form है Attention Deficit Hyperactivity Disorder. यह एक ऐसी condition है जिस्में बच्चे जल्दी विचलित हो जाते हैं और छोटी छोटी चीजों में भी ढंग से ध्यान नहीं दे पाते है। अगर आपको लगता है कि आपके बच्चे को ADHD है, तो आप इन लक्षणों की जाँच अपने बच्चे पर ज़रूर करें:अगर आपके बच्चे को कक्षा या घर पर ध्यान देने में दिक्कत हो रही है, तो यह ADHD का लक्षण हो सकता है। ऐसे में बच्चे चीजें भूल सकते हैं, या उन्हें अपने काम ख़त्म करने में दिक्कत हो सकती है।जिन बच्चों को ADHD होता है वो सोच समझकर ढंग से काम नहीं कर पाते हैं। वो लोगों की बातों को रुकावट करते हैं, सवाल ख़त्म होने से पहले ही कुछ बोल देते हैं, या उन्हें अपनी बारी का इंतज़ार करने में दिक्कत होती है।ADHD से ग्रसित बच्चे आस पास की चीजों से आसानी से distract हो जाते हैं। उन्हें होमवर्क या पढ़ाई करने में मुश्किल होती है क्योंकि वो अपने आस-पास की हर चीज़ की ख़बर रखते हैं।ADHD वाले बच्चे जानकारी को समझने में भी struggle करते हैं। वो चीज़ों को भूल जाते हैं क्योंकि उनका ध्यान हमेशा कहीं और रहता है।कुछ ADHD वाले बच्चे बिना सोचे समझे ख़तरनाक चीजें करते हैं। वो अपनी सुरक्षा के बारे में नहीं सोचते और बिना सोचे समझे काम करते हैं।अगर आपका बच्चा हर समय नखरे करता है, तो यह ADHD का लक्षण हो सकता है। कुछ बच्चों को ADHD के कारण Oppositional Defiant Disorder जैसे और भी issues हो सकते हैं।ADHD के साथ साथ कुछ बच्चों को चीज़ें सीखने में भी दिक्कत हो सकती हैं, जैसे पढ़ाई या बोलने में मुश्किल। बच्चों को social skills सीखने में भी परेशानी हो सकती है, जो दोस्तों के साथ उनके संबंधों पर असर डाल सकता है।ADHD वाले बच्चे बेचैन या दुखी भी महसूस करते हैं, लेकिन कभी कभी उनके बर्ताव के कारण में यह लक्षण माता पिता समझ नहीं पाते है।ADHD family history के कारण भी हो सकता है। अगर आपके किसी घर वाले को ADHD है, तो आपके बच्चे को ADHD होने के chances बढ़ सकते है।ADHD के कारण बच्चे की पढ़ाई और दोस्ती पर असर डाल सकता है, लेकिन सही मदद के साथ आपका बच्चा अच्छा कर सकता है।अगर आपको अपने बच्चे को लेकर चिंता हो रही है, तो doctor से बात करना एक सही विकल्प है।Source:- 1. https://www.nimh.nih.gov/health/topics/attention-deficit-hyperactivity-disorder-adhd 2. https://www.nimh.nih.gov/health/publications/attention-deficit-hyperactivity-disorder-what-you-need-to-know
क्या आप जानते हैं कि आपका दिमाग़ एक muscle की तरह होता है? जैसे आप अपनी शरीर की exercise करते हो, वैसे ही आपके दिमाग़ को भी regular exercise की जरूरत होती है ताकि वो sharp और healthy रह सके।आपके दिमाग़ के लिए top 5 exercises!सुपर ब्रेन योगायह exercise आसान movements और deep breathing को मिलाकर करके बनती है। सबसे पहले अपने दाहिने हाथ से अपने दाहिने कान को massage करो और फिर अपने बाहिने हाथ से बाहिने कान को massage करो। अब साँस अंदर लेते हुए squat की position में बैठ जाओ, और साँस बाहर निकालते हुए उठ जाओ। यह कुछ मिनटों तक repeat करो। अगर आप इस exercise को daily करेंगे, तो आपकी memory बढ़ेगी और आप ज्यादा focused रहेंगे।क्रॉस क्रॉल्सCross crawls आपके दिमाग़े के दाहिने और बाहिने हिस्से के बीच बेहतर communication करने में मदद करते हैं। यह एक simple exercise है, जिसमें आप को अपना बाहिना घुटना उठाना और उसे दाहिने हाथ से छूना है। कुछ समय के बाद आप sides change कर सकते हैं। इसे लगातार 5 minute तक करते रहिए। यह coordination को improve करता है और focus भी sharpen करता है।वॉकिंग व्हाइल लिस्टनिंगचलते हुए हुए एक audiobook या podcast सुनो। Studies कहती हैं कि जब आप चलते चलते साथ में इंफ़ॉर्मर्शन सुनते हो, तो आपका दिमाग़ बेहतर तरीके से चीज़ो को याद रखता है। चलने से blood flow और oxygen दिमाग़ तक ज्यादा पहुँचती है, जो concentration में मदद करती है।माइंडफुल ब्रेन एक्सरसाइज़आप अपने उस हाथ का इस्तेमाल करना शुरू कीजिए जिसे आप कम इस्तेमाल करते हैं। आप उस हाथ को अपने दांत साफ़ करने या लिखने के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं। ऐसा करने से आपके दिमाग़ के अलग अलग हिस्से खुल जाते है। इससे आपका दिमाग़ flexible भी होता है।ब्रेन ब्रेक्सअपना काम करते वक्त छोटे breaks लेना आपके दिमाग़ को fresh महसूस करने में मदद करता है। हर 25-30 minutes के काम के बाद थोड़ा चलो या stretching करो। इससे mental थकान कम होती है।अगर आप यह आसान exercises अपने रूटीन में शामिल करेंगे, तो आप अपने दिमाग़ को sharp, focused और healthy रख सकेंगे।Source:- 1. https://pmc.ncbi.nlm.nih.gov/articles/PMC2680508/ 2. https://pmc.ncbi.nlm.nih.gov/articles/PMC3951958/
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