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बच्चों के कान दर्द को ठीक करने के लिए अपनाये ये 5 घरेलू नुस्ख़े!

छोटे बच्चों को अक्सर कान में दर्द की समस्या होती है, जिससे वे काफी चिड़चिड़े हो जाते हैं और ठीक से सो भी नहीं पाते। कभी ये दर्द हल्का होता है तो कभी बहुत तेज़!बच्चों में कान के दर्द को कम करने के 6 असरदार तरीके1. ठंडी सिकाई करेंठंडी सिकाई से कान में हो रहे दर्द और सूजन में आराम मिलता है, इसलिए ice pack को 20 मिनट तक बच्चे के कान के बाहरी हिस्से पर रखें, इससे उन्हें दर्द में राहत मिलेगी!2. बच्चे को खूब पानी पिलायेंअगर कान में दर्द सर्दी-जुकाम की वजह से हो रहा है, तो खूब पानी पीने से कान में मौजूद गाढ़े बलगम (mucus) को बाहर निकलने में मदद मिलती है और कान का दर्द भी कम हो जाता है।3. सुलाते समय बच्चे का सिर ऊँचा रखेंजब बच्चा सो रहा हो, तब उसके सिर के नीचे एक या दो तकिये लगाएं। ऐसा करने से अगर कान के अंदर कुछ liquid जमा होगा तो वो बाहर निकल जाएगा जिससे बच्चे के कान पर pressure कम पड़ेगा और उसे दर्द में भी राहत मिलेगी।4. कान और गर्दन पर हल्की मालिश करेंकान के आस-पास और गर्दन पर हल्की मालिश करने से blood flow improve होता है, जिससे कान में हो रहे दर्द और सूजन में कमी आती है। लेकिन यह ज़रूर ध्यान रखें कि बच्चे के कान पर ज़्यादा दबाव न पड़े, इससे कान दर्द और बढ़ सकता है।5. बच्चे को आराम करने की सलाह देज़्यादा movement करने या खेलने-कूदने से कान का दर्द और infection दोनों बढ़ सकते हैं इसलिए बच्चे को आराम करने की सलाह दें। आराम करने से शरीर का immune system भी strong होता है और उसे infections से लड़ने में मदद मिलती है, जिसके कारण कान का दर्द भी कम हो जाता है।6. कान दर्द कम करने की दवाएं देंTylenol या ibuprofen जैसी दवाएं कान के सूजन को कम कर सकती हैं, जिससे कान में पड़ रहा pressure भी कम हो जाता है और बच्चे को कान के दर्द में राहत मिलती है।इन तरीकों को आज़माने के बाद भी अगर कान का दर्द कम न हो, बच्चे को तेज बुखार आ जाए या कोई और गंभीर लक्षण दिखें, तो तुरंत डॉक्टर से consult करें।Source:- 1. https://www.webmd.com/cold-and-flu/ear-infection/ear-pain-home-treatment2. https://www.webmd.com/first-aid/treating-ear-infections-in-children3. https://www.nhsinform.scot/illnesses-and-conditions/ears-nose-and-throat/earache/4. https://www.nhs.uk/conditions/earache/5. https://newsinhealth.nih.gov/2018/10/pain-ear

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बच्चों में UTI कैसे होता है? अपने बच्चों को UTI से कैसे बचायें? बच्चों में UTI का इलाज़।

UTI (Urinary Tract Infection) तब होता है जब harmful bacterias बच्चे के urinary tract में चले जाते हैं। इस infection के कारण पेशाब करते समय बच्चों को दर्द भी हो सकता है। अगर इसका सही समय पर इलाज न हो तो परेशानी बढ़ सकती है।UTI के लक्षण क्या होते हैं?छोटे बच्चों में UTI के लक्षण कुछ इस प्रकार होते हैं -बुखारपेट में दर्दबदबू वाली पेशाबचिड़चिड़ापनउल्टीथकानदस्तबड़े बच्चों में UTI के लक्षण कुछ ऐसे होते हैं-बार-बार पेशाब करने का मन होनापेशाब करते समय दर्द होनापेशाब में खून आनाबुखार और ठंड लगनापीठ या सिर में दर्द होनाUTI से अपने बच्चों को कैसे बचायें?अपने बच्चों को UTI से बचाने के लिए इन बातों पर ध्यान दें।बच्चों को साफ-सफाई से रहना सिखाएँ।उन्हें अच्छे से पानी पीने को कहें।बच्चों को cotton underwears ही पहनाएं।उन्हें पेशाब रोकने की आदत न डालने दें।बच्चों को scented soaps से ना नहलाएँ।UTI का इलाज़ कैसे करें?UTI का इलाज़ करने के लिए आप ये steps ज़रूर follow करें:Doctor से तुरंत consult करें और उनकी दी गई दवाई (antibiotics) अपने बच्चे को समय से खिलाये।अपने बच्चे को अच्छे से पानी पिलायें ताकि उनकी पेशाब साफ हो और शरीर में पानी की कमी न हो।कुछ बच्चों को बार-बार UTI होता है। अगर आपके बच्चे को पहले UTI हो चुका है, तो लक्षणों पर ध्यान देना बहुत ज़रूरी है।अगर कोई भी लक्षण दोबारा दिखे, तो जल्दी से अपने डॉक्टर को बताएं।Source:- 1. https://my.clevelandclinic.org/health/symptoms/15533-frequent-urination2. https://my.clevelandclinic.org/health/diseases/12415-urinary-tract-infection-childrens3. https://www.kingstonandrichmond.nhs.uk/patients-and-families/patient-leaflets/urinary-tract-infection-uti-children4. https://www.cuh.nhs.uk/patient-information/bladder-and-voiding-problems-in-children/5. https://www.nhsinform.scot/illnesses-and-conditions/kidneys-bladder-and-prostate/urinary-tract-infection-uti-in-children/

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Bedwetting की problem को solve करने के आसान tips!

बच्चों में Bedwetting की problem को solve करने के कुछ आसान tips:बच्चों का रात में बिस्तर पर सुसु करना, जिसे nocturnal enuresis भी कहा जाता है, एक बहुत ही common problem है। यह problem ज़्यादातर समय के साथ solve हो जाती है, लेकिन कुछ बच्चे 7 साल की उम्र में या उससे भी बड़े होने पर बिस्तर पर सुसु कर सकते हैं।याद रखें कि bedwetting बच्चे की गलती नहीं है इसलिए बच्चे को कभी भी शर्मिन्दा न करें या डांटे नहीं। इस problem को solve करने के लिए उन्हें पूरा support करें और patience से काम लें। बच्चे की मदद के लिए कुछ Tips:Tip 1 : बच्चे को सिखाएं कि दिन भर में ज़्यादा देर तक सुसु को रोकना नहीं है।Tip 2: ध्यान दें कि आपका बच्चा regularly दिन भर में और रात को सोने से पहले सुसु ज़रूर जाए।Tip 3: सोने से कुछ घंटे पहले बच्चे को कम से कम liquids दें।Tip 4: जिस रात बच्चा बिस्तर पर सुसु ना करे, सुबह उठकर उसकी प्रशंसा करें और कोई छोटा सा gift भी दें।Tip 5: एक अलार्म का उपयोग करें ताकि बच्चा रात में अलार्म की आवाज़ से उठ कर सुसु करने जा सके।थोड़े patience और support से इस problem को घर पर ही आसानी से solve किया जा सकता है। अगर आपको फिर भी मुश्किल हो रही हो तो डॉक्टर से ज़रूर consult करें।Source:- https://medlineplus.gov/ency/patientinstructions/000703.htm

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बच्चों का वज़न बढ़ाने के लिए क्या करें और क्या ना करें!

बच्चों का वज़न बढ़ाने के लिए क्या करें और क्या ना करेंसबसे पहले, अपने बच्चे का Body Mass Index (BMI) calculate करें। इसे calculate करने के लिए बस आपको चाहिए अपने बच्चे की date of birth, height और weight।अपने बच्चे का BMI calculate करें। Details डालने के बाद आपको result मिलेगा जो की percentile के रूप में होगा और इससे आपको पता लगेगा कि क्या आपका बच्चा सही में underweight है या आपको सिर्फ ऐसा लगता है।अगर results से पता चलता है कि आपका बच्चा underweight है, तो घबराइए मत। क्या आप जानते हैं, कि कुछ खान-पान की आदतें बदलने से ही आप अपने बच्चे का weight improve कर सकते हैं।क्या करें:आज ही उनके खान-पान में बदलाव करें:Carbohydrate की मात्रा बढ़ाएँ: उनके भोजन में आलू और चावल जैसे starchy carbohydrates शामिल करें।Healthy fats चुनें: Avocado, Nuts और Olive oil जैसे हेल्दी फैट्स से उनकी calorie intake बढ़ाएँ।High calorie drinks दें: खाने के अलावा किसी समय उन्हें milkshake और smoothies जैसे high calorie drinks पिलाएँ।हेल्दी खान-पान की आदतों को बढ़ावा दें: अपने बच्चे को खाना बनाने में शामिल करें और परिवार के सभी लोग साथ बैठकर खाना खाएँ।Healthy snacks शामिल करें: दही, फल और सब्जियों जैसे Healthy snacks हमेशा घर पर रखें ।ज़रूरी Vitamins पर ध्यान दें: ध्यान दें कि आपके बच्चे को विटामिन A, C और D जैसे सभी ज़रूरी Vitamins मिल रहे हैं।weight gain के लिए आपको क्या नहीं करना चाहिए:Unhealthy Foods पर निर्भर न रहें: "वज़न बढ़ाने के लिए junk foods या sugary drinks पर निर्भर न रहें। इसके बजाय केवल nutritious snacks और भोजन ही चुनें।"खाने से पहले drinks और snacks न दें: "खाने से पहले इनको खाने या पीने से बच्चों का पेट भर सकता है, जिसकी वजह से वो अच्छे से nutritious खाना नहीं खा पाएंगे।भोजन का समय stress free रखें: "भोजन के समय negative माहौल से बचें। अगर वे अपनी थाली में सब कुछ ख़तम नहीं भी करते तो निराश न हों। इस समय को शांत और अच्छा बनाए रखें।"Physical Activity को बढ़ावा दें: "नियमित व्यायाम overall health के लिए महत्वपूर्ण है, यह वज़न बढ़ाने में भी मदद करता है। उन activities के लिए बच्चों को प्रोत्साहित करें जो उन्हें अच्छी लगती हो और आप खुद भी उनके खेल का हिस्सा बनें।"बच्चों के खानपान में कुछ आसान से बदलाव जैसे नियमित पौष्टिक भोजन, snacks, drinks और physical activity से हम अपने बच्चे को स्वस्थ तरीके से वज़न बढ़ाने में मदद कर सकते हैं। याद रखें, patience और positivity ही आपके बच्चे के growth और development की सही कुंजी है।Source:-https://www.nhs.uk/live-well/healthy-weight/childrens-weight/how-to-help-your-child-gain-weight/

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Child abuse क्या होता है? और कितने types के होते हैं?

Hello parents, आज हम बात करेंगे एक बहुत ही सेंसिटिव टॉपिक “child abuse” पे। Abuse.. जिसका मतलब गलत use है, तो सोचिए “child abuse” कितना गलत होगा। हर घर में बच्चे होते हैं, जो हँसते खेलते अच्छे लगते हैं, लेकिन यही बच्चे जब चुप चुप से, और डर डर के जीने लगे, तो मतलब साफ़ है, आपका बच्चा कहीं न कहीं unsafe है, उसके साथ कुछ गलत हो रहा है, वो child abuse का शिकार हो गए हैं और शायद आपसे कह नहीं पा रहे।Child abuse क्या होता है? और कितने types के होते हैं।Child abuse एक ऐसी स्थिति है जिसमें parents, caregivers, या local guardians, जो बच्चे के लिए जिम्मेदार होते हैं, उन्हें या तो नुकसान पहुंचाते हैं या उनकी ठीक से देखभाल नहीं करते।Child abuse एक बहुत गंभीर मसला है और ये अलग-अलग तरीकों से हो सकता है:Physical abuse: Physical abuse में जान बूझकर बच्चे को चोट पहुंचाना शामिल है। जैसे मारना, धक्का देना, जलाना, या किसी object से बच्चे को चोट पहुंचाना।Physical abuse के signs: बच्चे के शरीर पर बिना वजह के चोटें, जलने के निशान, हड्डी टूटना या cuts देखे जा सकते हैं।Emotional abuse: Emotional abuse में बच्चे को डांटना, चिल्लाना, धमकाना, criticize करना, reject करना या लगातार उसका मजाक उड़ाना शामिल है।Emotional abuse के signs: बच्चे का आत्म-विश्वास कम हो जाना, उदासी या depression में रहना देखा जा सकता है।Sexual abuse: Sexual abuse में किसी भी तरह की sexual activity के लिए बच्चे को मजबूर करना शामिल है, जैसे गलत जगह पर हाथ लगाना या दूसरी कोई sexual activity।Sexual abuse के signs: बच्चा किसी जगह या व्यक्ति से डरने लगता है, genital area में दर्द महसूस करता है, बिना वजह के private parts से bleeding होती है, या उम्र से ज्यादा sexual acts का knowledge रखता है।अगर आप अपने बच्चे में ऐसे signs notice करते हैं जैसे कि वो अचानक से चुप हो जाए या किसी जगह या व्यक्ति से डरने लगे, तो उनसे बात करें, उन्हें समझें और उन्हें जो support और care चाहिए, वो दें।soutce: https://www.qld.gov.au/community/getting-support-health-social-issue/support-victims-abuse/child-abuse/what-is-child-abuse/child-abuse-types https://www.ncbi.nlm.nih.gov/books/NBK459146/#:~:text=The World Health Organization

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बच्चों में अवसाद का इलाज कैसे करें?

बच्चों में डिप्रेशन के काफी कारण होते हैं, जैसे family history, या कोई बीमारी, या बचपन में हुए हादसे, और भी बहुत कारण हैं।बच्चों को उनके hard times में support और care देना जरूरी होता है, ताकि डिप्रेशन के असर को कम कर सकें। लेकिन, बच्चों में डिप्रेशन को treat करने के लिए उनको therapy की जरूरत होती है।इस therapy का नाम है, CBT यानी Cognitive Behavioral Therapy।इस therapy में बच्चों को अपनापन और supported feel होता है। उन बच्चों को क्या feel होता है, या वो क्या सोच रहे हैं, इस बारे में बात की जाती है।Even बच्चों को अलग-अलग Stories, drama, या फिर अपने डर को कम कैसे करें या उससे deal कैसे करें ये सब सिखाया जाता है। कभी-कभी बच्चों के parents को भी इस therapy में include किया जाता है ताकि बच्चे को comfortable feel हो सके।ये तो हो गई therapy, लेकिन आपको as a parent क्या करना चाहिए जब आपका बच्चा depressed हो तब?अगर आपको लगता है कि बच्चा depressed है, तो ये steps आपको as a parent जरूर करने चाहिए:अपने बच्चे से उसके उदास होने का कारण पूछिए। बच्चे को feel कराइए कि आप हैं उसको सुनने के लिए, उसकी help करने के लिए। अपने बच्चे को doctor से दिखाएं, ताकि पता चले वो depressed है या कोई stress है उसे। अपने बच्चे को therapist के पास ले जाएं और उसकी therapy करवाएं। बच्चे से शांति और प्यार से बात कीजिए। और अपने बच्चे के साथ ज्यादा से ज्यादा time spend कीजिए, ताकि उसे अच्छा feel हो और उसको positive thoughts आएं।source: https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC8465814/ https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC3788699/

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शिशुओं को पीलिया क्यों होता है

नवजात शिशुओं में पीलिया एक सामान्य स्थिति है जिसमें त्वचा और आंखों का रंग पीला पड़ जाता है, जो आमतौर पर जन्म के 2 से 4 दिन बाद होता है। यह मलिनकिरण बिलीरुबिन की अधिकता के कारण होता है, जो पुरानी red blood cells के टूटने के दौरान उत्पन्न होने वाला एक पीला अपशिष्ट यौगिक है। शिशुओं में, यकृत अभी भी विकसित हो रहा है, जिससे रक्तप्रवाह से बिलीरुबिन का निष्कासन धीमी गति से हो रहा है। जबकि हल्का पीलिया, जिसे ""सामान्य पीलिया"" कहा जाता है, आम है और एक या दो सप्ताह के भीतर ठीक हो जाता है। बिलीरुबिन को खत्म करने की अविकसित क्षमता के कारण समय से पहले जन्मे शिशुओं को समय से पहले पीलिया का अनुभव हो सकता है।Breastfeeding jaundice अपर्याप्त स्तन के दूध के सेवन, मल त्याग में कमी और बिलीरुबिन उत्सर्जन के परिणामस्वरूप हो सकता है। Breastfeeding jaundice less common है और यह स्तन के दूध में मौजूद पदार्थों के कारण होता है जो बिलीरुबिन प्रसंस्करण में हस्तक्षेप करते हैं।माँ और बच्चे के बीच Blood group incompatibility से red blood cells का एंटीबॉडी-मध्यस्थता विनाश हो सकता है, जिससे बिलीरुबिन की अधिकता हो सकती है। अधिकांश मामले स्वाभाविक रूप से ठीक हो जाते हैं, लेकिन गंभीर पीलिया के लिए चिकित्सीय हस्तक्षेप की आवश्यकता हो सकती है, जैसे फोटोथेरेपी या blood transfusion।नवजात शिशुओं में पीलिया का उपचार!"" के बारे में जानने के लिए हमारा अगला वीडियो देखें।Source:-Newborn jaundice - Causes. (n.d.). Newborn jaundice - Causes. Retrieved March 4, 2024, from https://www.nhs.uk/conditions/jaundice-newborn/causes/

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blood group नवजात शिशुओं में पीलिया को कैसे प्रभावित करता है!

Blood group की incompatibilities से पीलिया का संबंध:नवजात शिशुओं में पीलिया का सबसे आम कारण एबीओ और आरएच incompatibilities होते हैं, जो माँ और बच्चे के बीच blood group में असंगति से होते हैं।उदाहरण के लिए, अगर माँ O पॉजिटिव है और उसका बच्चा A पॉजिटिव है, तो माँ की एंटीबॉडीज़ बच्चे के रक्तप्रवाह में प्रवेश कर सकती हैं, जिससे पीलिया हो सकता है।ऐसा इसलिए है क्योंकि मां का immune system बच्चे के blood type के खिलाफ एंटीबॉडी का उत्पादन करती है, जिससे बच्चे की Red blood cells नष्ट हो सकती हैं, जिससे बिलीरुबिन रक्तप्रवाह में रिलीज हो सकता है।Minor blood group incompatibilities:ये इंटी-ई incompatibility (जहां एक मां की प्रतिरक्षा प्रणाली उसके बच्चे में लाल रक्त कोशिकाओं की सतह पर ई एंटीजन के खिलाफ एंटीबॉडी का उत्पादन करती है) जैसे होते हैं।इससे बच्चे की लाल रक्त कोशिकाएं नष्ट हो सकती हैं, जिससे बिलीरुबिन release हो सकता है।एंटी-ई incompatibility के गंभीर मामलों में भ्रूण और नवजात शिशु में हेमोलिटिक रोग हो सकता है, जिससे हाइपरबिलिरुबिनमिया जैसी स्थितियां पैदा हो सकती हैं।इलाज:एक्सचेंज ट्रांसफ़्यूज़न की आवश्यकता हो सकती है जिसमें बार-बार थोड़ी मात्रा में blood निकालना और बिलीरुबिन को पतला करने के लिए इसे donor blood से बदलना शामिल होता है।Source:-Newborn Jaundice | Duke Health. (n.d.). Newborn Jaundice | Duke Health. Retrieved March 5, 2024, from https://www.dukehealth.org/blog/newborn-jaundiceDisclaimer:-This information is not a substitute for medical advice. Consult your healthcare provider before making any changes to your treatment. Do not ignore or delay professional medical advice based on anything you have seen or read on Medwiki.Find us at:https://www.instagram.com/medwiki_/?h..https://twitter.com/medwiki_inchttps://www.facebook.com/medwiki.co.in/

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बच्चों में Bedwetting के 2 प्रकार – कौन सा है आपके बच्चे का प्रकार?

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Mrs. Prerna Trivedi

Nutritionist

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सावधान रहें: अगर बेबी फ़ूड में गर्म और ठंडे पानी को मिलाते हैं!

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