एक्जिमा : आयुर्वेद में एकर कारण आ इलाज!

 

आयुर्वेद में एक्जिमा, (या विचारचिका), त्वचा के एगो अयीसन स्थिति ह जवन कि तीव्र अवुरी पुरान दुनो प्रकार के प्रकृति के हो सकता। एकर विशेषता बा कि: कांडु (खुजली के सनसनी), पिडिका (पपुले), श्याव वर्ण (काला भूरा रंग के बदनामी) अवुरी बहुश्रवा (द्रव निहन अतिरिक्त मवाद) त्वचा प होखेला। 
 

ई मुख्य रूप से कान के प्रभावित करे ला, पलक के निचला हिस्सा से ले के ऊपरी होंठ ले, नासोलेबियाल फोल्ड (नाक से मुँह के कोना ले रेखा), भौंह, बगल, नाभि, स्तन, ग्रोइन आ माथा, (अक्सर रूसी के साथ मौजूद होला)। 
 

एक्जिमा तब होला जब पिट्टा दोष (आग के प्रतिनिधित्व करे वाला) संतुलन से बाहर हो जाला जेकरा चलते प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर हो जाला जवन कि, गरम आ नम मौसम, पसीना, एलर्जी पैदा करे वाला, परेशान करे वाला चीज (जइसे कि साबुन, डिटर्जेंट), तनाव, आ चाय, कॉफी, शराब आदि के बारे में बतावल गइल बा। 
 

इ असंतुलन पाचन के प्रभावित करेला जवना के चलते शरीर में विषाक्त पदार्थ (एमा) जमा हो जाला जवना से त्वचा के स्थिति के माध्यम से एक्जिमा हो जाला। 
 

आयुर्वेदिक चिकित्सा के मकसद पित्त दोष के संतुलन बनावल बा ताकि जहरीला पदार्थ के हटा के पाचन तंत्र के संतुलन बनावल जा सके। जड़ी-बूटी के दवाई जइसे कि उध्वर्थनम (सूखा जड़ी-बूटी के पाउडर के मालिश), धूपनम (औषधीय वाष्प) आ कुछ मौखिक दवाई लिखल जाला। 
 

Source1:-Chaudhary, S. (2022, october 20). The Ayurvedic Approach to The Treatment of Skin Diseases. Retrieved from cocosoul: The Ayurvedic Approach to The Treatment of Skin Diseases 
 

Source2:-Dija T Lawrence, A. R. (2023, july). Ayurvedic management of Vicharchika (Eczema) - A Case Report. Retrieved from Research Gate: https://www.researchgate.net/publication/372755089_Ayurvedic_management_of_Vicharchika_Eczema_-_A_Case_Report 
 

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डॉ. ब्यूटी गुप्ता

Published At: Apr 22, 2024

Updated At: Sep 19, 2024