आयुर्वेद में झुर्रियों के लिए विभिन्न प्रकार के natural और प्रभावी उपचार हैं जैसे:-1.हर्बल थेरेपी:इसमें वयस्थापन के नाम से जानी जाने वाली कई जड़ी-बूटियों का मिश्रण होता है, जो त्वचा को पोषण देते हैं और उसकी युवा रखने के साथ-साथ दोषों को संतुलित करते हैं।2.तेल की मालिश (अभ्यंग):हर्बल तेलों से पूरे शरीर की मालिश करना त्वचा को पोषण देता है और उसकी एलास्टिसिटी में सुधार करता है।3.औषधीय तेल स्नान:इसमें औषधीय तेल या घी के स्ट्रीम्स या उनमें स्नान शामिल होता है, जो त्वचा को गहराई से पोषण देता है और रूखेपन से बचाता है।4.मुख लेप:वात दोष रोधी जड़ी-बूटियों से बने लेप को तेल के साथ मिलाकर चेहरे पर लगाने से शुष्क त्वचा और झुर्रियों वाले व्यक्तियों की त्वचा चिकनी रहती है।5.स्नेहपान:थोड़ी मात्रा में औषधीय घी या तेल पीने से त्वचा को अंदर से चिकनाई और नमी देने में मदद मिलती है।6.नस्य (नाक उपचार):नियमित रूप से नाक में औषधीय तेल लगाने से झुर्रियों के साथ-साथ चेहरे की अन्य समस्याओं को ठीक करने और रोकने में मदद मिल सकती है।Source:-KULKARNI, SACHIN & JAIN, SIDDHARTH. (2022). CONCEPT OF WRINKLES IN AYURVEDA WITH SPECIAL REFERENCE TO AGEING. INDIAN JOURNAL OF APPLIED RESEARCH. 10. 60-62.Disclaimer:-This information is not a substitute for medical advice. Consult your healthcare provider before making any changes to your treatment. Do not ignore or delay professional medical advice based on anything you have seen or read on Medwiki.Find us at:https://www.instagram.com/medwiki_/?h…https://twitter.com/medwiki_inchttps://www.facebook.com/medwiki.co.in/
1.झुर्रियों का स्वाभाविक हिस्सा होना: झुर्रियाँ आमतौर पर चेहरे, गर्दन, हाथ, और forearms जैसे सूर्य के संपर्क में आने वाले क्षेत्रों पर देखी जाती हैं। यह हमारी उम्र बढ़ने का एक प्राकृतिक हिस्सा है।2.झुर्रियों का आयुर्वेदिक नाम "वली": झुर्रियाँ त्वचा के सिकुड़ने (समकोचा) के रूप में जानी जाती हैं, और ये उम्र बढ़ने का मुख्य संकेत हैं।3.झुर्रियों के निर्माण में शामिल factors: झुर्रियों के निर्माण में शामिल body factors हैं- "रस धातु" (प्लाज्मा), "ममसा धातु" (मांसपेशियां), और "वात दोष"।4.कारण: त्वचा की कुछ स्थितियां, धूम्रपान, धूल, और यूवी रेडिएशन झुर्रियों के प्रमुख कारण हो सकते हैं।5.आयुर्वेदिक उपाय:नस्य (नाक में तेल लगाना): इससे झुर्रियों से बचाव किया जा सकता है।अभ्यंग (तेल मालिश): यह त्वचा को पोषण देता है और झुर्रियों को रोकने में मदद करता है।स्नेहा (तेल) और अवलेहा (औषधीय घी): ये उपचार झुर्रियों को रोकने और इलाज करने में प्रभावी होते हैं।Source:-KULKARNI, SACHIN & JAIN, SIDDHARTH. (2022). CONCEPT OF WRINKLES IN AYURVEDA WITH SPECIAL REFERENCE TO AGEING. INDIAN JOURNAL OF APPLIED RESEARCH. 10. 60-62.Disclaimer:-This information is not a substitute for medical advice. Consult your healthcare provider before making any changes to your treatment. Do not ignore or delay professional medical advice based on anything you have seen or read on Medwiki.Find us at:https://www.instagram.com/medwiki_/?h..https://twitter.com/medwiki_inchttps://www.facebook.com/medwiki.co.in/
आयुर्वेद में, हाइपरपिग्मेंटेशन को माइनर स्किन डिसऑर्डर्स की श्रेणी में सूचीबद्ध किया गया है, जिन्हें आमतौर पर "क्षुद्र रोग" के रूप में जाना जाता है। इन डिसकलरेशन्स के लिए प्रमुख आयुर्वेदिक शब्द हैं:-न्याशा या लॉन्चन: ये बड़े या छोटे, दर्द रहित धब्बे होते हैं जो काले या भूरे-काले रंग के होते हैं। इन्हें चेहरे को छोड़कर शरीर पर भी दिखाई दे सकते हैं।व्यंग/मुख व्यंग/झाई: ये दर्द रहित, लेकिन पतले पैच होते हैं और काले या भूरे-काले रंग के होते हैं। इन्हें आमतौर पर "झाई" कहा जाता है।नीलिका या नीली झाई: ये चेहरे या शरीर पर काले धब्बे होते हैं, लेकिन इनका रंग और भी गहरा होता है।आयुर्वेद आंतरिक त्वचा स्वास्थ्य और शरीर के संतुलन को बहाल करने के आधार पर हाइपरपिग्मेंटेशन का उपचार प्रदान करता है:-अभ्यंग: आयुर्वेदिक हर्बल मालिश जिसमें विशेष हर्बल तेलों का उपयोग किया जाता है जो blood circulation को सुधारते हैं और त्वचा के रंग में सुधार करते हैं।एसेंशियल ऑयल: तिल का तेल, हल्दी का तेल, और चाय के पेड़ के तेल का उपयोग किया जाता है जो मेलेनिन उत्पादन को रोकते हैं और दाग और धब्बों को हल्का कर सकते हैं।आयुर्वेदिक लेप: जड़ी-बूटियों और प्राकृतिक सामग्रियों का मिश्रण जो त्वचा की समस्याओं के लिए इस्तेमाल होता है।पंचकर्म: एक गहरी detoxification process जो त्वचा को साफ करता है।Source:- Angadi, S. S., & Gowda, S. T. (2014). Management of Vyanga (facial melanosis) with Arjuna Twak Lepa and Panchanimba Churna. Ayu, 35(1), 50–53. https://doi.org/10.4103/0974-8520.141924Disclaimer:-This information is not a substitute for medical advice. Consult your healthcare provider before making any changes to your treatment. Do not ignore or delay professional medical advice based on anything you have seen or read on Medwiki.Find us at:https://www.instagram.com/medwiki_/?h…https://twitter.com/medwiki_inchttps://www.facebook.com/medwiki.co.in/
हाइपरपिगमेंटेशन सबसे common skin disorder है, जिसमें त्वचा dull और नीले-काले धब्बों के साथ बन जाती है।मेलेनिन त्वचा का natural pigment है, जो मेलानोसाइट्स नामक cells द्वारा निर्मित होता है।हाइपरपिगमेंटेशन को आयुर्वेद में "व्यंग" के नाम से जाना जाता है, जो पित्त और कफ दोषों के असंतुलन और blood related problems के कारण होता है।अधिक मेलेनिन के उत्पादन के कारक शामिल हैं: Sun Exposure, Hormonal Changes, Inflammation and Injury, Genetic Factors, Age, Chemicals and Medications।आयुर्वेदिक उपचार जैसे अभ्यंग, आयुर्वेदिक लेप, और lifestyle में बदलाव हाइपरपिगमेंटेशन के इलाज में मददगार हो सकते हैं।Source:- Rathee, P., Kumar, S., Kumar, D. et al. Skin hyperpigmentation and its treatment with herbs: an alternative method. Futur J Pharm Sci 7, 132 (2021). https://doi.org/10.1186/s43094-021-00284-6Disclaimer:-This information is not a substitute for medical advice. Consult your healthcare provider before making any changes to your treatment. Do not ignore or delay professional medical advice based on anything you have seen or read on Medwiki.Find us at:https://www.instagram.com/medwiki_/?h..https://twitter.com/medwiki_inchttps://www.facebook.com/medwiki.co.in/
आयुर्वेद में झुर्रियों के लिए विभिन्न प्रकार के natural और प्रभावी उपचार हैं जैसे:1. हर्बल थेरेपी- इस थेरेपी में, "वयस्थापन" के नाम से जानी जाने वाली कई जड़ी-बूटियों का मिश्रण होता है, जो अपने एंटी-एजिंग गुणों के लिए जाना जाता है, यह त्वचा को पोषण देने और जवान रखने के साथ साथ दोषों को संतुलित और कोलेजन उत्पादन को regulate करता है।2. Oil Massage (अभ्यंग): हर्बल oils से चेहरे, सिर और पैरों सहित पूरे शरीर की मालिश करना आवश्यक है। यह circulation को बढ़ावा देता है, त्वचा को पोषण देता है और इसकी elasticity में सुधार करता है।3. Medicated Oil Baths (सर्वंगा तैला धारा और अवगाहा): इसमें औषधीय तेल या घी की streams pour (केवल शरीर के लिए) या उनमें स्नान करना शामिल है। यह त्वचा को गहराई से पोषण देता है और रूखेपन से बचाता है।4. मुख लेप: वात दोष रोधी जड़ी-बूटियों से बने लेप को तेल के साथ मिलाकर चेहरे पर लगाने से शुष्क त्वचा और झुर्रियों वाले व्यक्तियों की त्वचा चिकनी रहती है।5. स्नेहपान: थोड़ी मात्रा में औषधीय घी या तेल पीने से त्वचा को अंदर से चिकनाई और नमी देने में मदद मिलती है।6. नस्य (नाक उपचार): नियमित रूप से नाक में औषधीय तेल लगाने से झुर्रियों के साथ-साथ चेहरे की अन्य समस्याओं को ठीक करने और रोकने में मदद मिल सकती है।Source:-KULKARNI, SACHIN & JAIN, SIDDHARTH. (2022). CONCEPT OF WRINKLES IN AYURVEDA WITH SPECIAL REFERENCE TO AGEING. INDIAN JOURNAL OF APPLIED RESEARCH. 10. 60-62.Disclaimer:-This information is not a substitute for medical advice. Consult your healthcare provider before making any changes to your treatment.Do not ignore or delay professional medical advice based on anything you have seen or read on Medwiki.Find us at:https://www.instagram.com/medwiki_/?h...https://twitter.com/medwiki_inchttps://www.facebook.com/medwiki.co.in/