डेंगू | मच्छरों से होने वाली बीमारियाँ Part-1 | लक्षण और उपचार !

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जैसे कि आपने हमारे पिछले वीडियो में देखा था कि जब भी पानी कहीं भर जाता है तो उसमें मच्छर पनपने लगते हैं जिसकी वजह से कुछ स्वास्थ्य संबंधित परेशानियां खड़ी हो जाती है।

 

इस वीडियो में हम इन्हीं मच्छरों से होने वाली कुछ बीमारियों के बारे में बात करेंगे। यह बीमारियां साधारण रूप से लेकर काफी खतरनाक भी हो सकती हैं।

 

आईए जानते हैं डेंगू के कुछ लक्षण, किस तरह से हम अपने आप को इन बीमारियों से बचा सकते हैं एवं इनके कुछ इलाज।

 

डेंगू एक संक्रमण है जो मच्छरों (Aedes aegypti) के काटने से मनुष्य में फैलता है। ऐसे मच्छर ज्यादातर कहीं ठहरे हुए पानी में ही अंडे देते हैं।

 

डेंगू के लक्षण: बहुत तेज सर दर्द, तेज बुखार (आमतौर पर लगभग 104 degree F), मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द, उल्टी आना, त्वचा पर चकत्ते (rashes) पड़ जाना एवं आंखों के पीछे दर्द होना।

 

डेंगू से बचाव के कुछ तरीके: इस बीमारी का कोई टीकाकरण नहीं है। डेंगू फैलाने वाले मच्छर दिन के समय में सक्रिय (active) होते हैं, इसीलिए ऐसे कपड़े पहने जो आपके शरीर को जितना संभव हो उतना ढक सके, दिन में सोते समय मच्छरदानी का प्रयोग करें, मच्छर भगाने वाली वस्तुओं (repellants) का उपयोग करें (containing DEET, Picaridin or IR3535), मच्छर भगाने वाली coils एवं vaporizer का प्रयोग करें, हर समय अपने घर की जाली की खिड़कियां बंद रखें।

 

साथ ही जिन भी चीजों में पानी भरा हो उन्हें हर हफ्ते खाली करके साफ किया जाए, कूड़े को सही जगह फेका जाए, समुदाय में किसी भी तालाब या वस्तु में पानी जमा न होने दे क्योंकि रुके हुए पानी में मच्छर अंडे देते हैं एवं पानी से भरी वस्तुओं में उचित कीटनाशक जरूर लगाए।

 

डेंगू का उपचार: हालांकि डेंगू का कोई उपचार नहीं है, केवल लक्षण संबंधित दवाइयां ही दी जाती हैं। Paracetamol का सेवन ज्यादातर दर्द के लिए किया जाता है। Ibuprofen और Aspirin जैसी दवाइयां नहीं दी जाती क्योंकि यह खून के बहने का खतरा बढ़ा देती हैं। कुछ गंभीर मामलों में अस्पताल में भरती होना जरूरी हो जाता है।

 

Source:- 1. https://www.who.int/news-room/fact-sheets/detail/dengue-and-severe-dengue

अस्वीकरण:

यह जानकारी चिकित्सीय सलाह का विकल्प नहीं है. अपने उपचार में कोई भी बदलाव करने से पहले अपने स्वास्थ्य सेवा प्रदाता से परामर्श लें। मेडविकी पर आपने जो कुछ भी देखा या पढ़ा है, उसके आधार पर पेशेवर चिकित्सा सलाह को अनदेखा या विलंब न करें।

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Dr. Beauty Gupta

Published At: Aug 29, 2024

Updated At: Sep 19, 2024

जीवनशैली में इन बदलावों से अतिसक्रिय मूत्राशय का इलाज करें

ओएबी के इलाज के लिए, डॉक्टर आहार, पीने की आदतों और बाथरूम की दिनचर्या में बदलाव जैसे जीवनशैली में बदलाव का सुझाव दे सकते हैं। उनमें से कुछ हैं:1. कैफीन, शराब, सोडा, खट्टे फल, टमाटर आधारित खाद्य पदार्थ, चॉकलेट और मसालेदार भोजन जैसे मूत्राशय में जलन पैदा करने वाले पदार्थों का सेवन सीमित करें। निर्धारित करें कि कौन से खाद्य पदार्थ आपके लक्षणों को बढ़ाते हैं और उन्हें अपने आहार से हटा दें।2. कुछ खाद्य पदार्थों या निर्जलीकरण जैसे अपने लक्षणों के लिए ट्रिगर की पहचान करने के लिए कुछ दिनों तक अपनी बाथरूम की आदतों पर नज़र रखें।3. जिन लोगों को अपने मूत्राशय को पूरी तरह से खाली करने में कठिनाई होती है, उनके लिए दोहरी निकासी सहायक हो सकती है। इसमें बाथरूम जाने के बाद कुछ सेकंड रुककर और फिर दोबारा प्रयास करके अपने मूत्राशय को दो बार खाली करना शामिल है।4. विलंबित मलत्याग एक ऐसी तकनीक है जिसमें आप बाथरूम जाने से पहले इंतजार करते हैं, भले ही आपको आग्रह हो। धीरे-धीरे प्रतीक्षा समय को दो या तीन घंटे तक बढ़ाएं।5. समय पर पेशाब करने में तात्कालिकता को रोकने और नियंत्रण हासिल करने के लिए बाथरूम शेड्यूल का पालन करना शामिल है। एक स्वास्थ्य सेवा प्रदाता एक शेड्यूल बनाने में मदद करेगा, जिसमें जाने की इच्छा की परवाह किए बिना हर दो से चार घंटे में जाना शामिल हो सकता है।Source:-https://www.urologyhealth.org/urology-a-z/o/overactive-bladder-(oab)

चिकनगुनिया के लिए टोप 7 घरेलू उपचार!

पपीते की पत्तियां: ये पत्तियां दाने और जोड़ों के दर्द में मदद कर सकती हैं। आप एक सप्ताह तक रोजाना तीन बार ताजा पपीते की पत्तियों से बना रस पी सकते हैं। या, जैसा कि आपके डॉक्टर सुझाव देते हैं, पपीते से बने उत्पादों का उपयोग करें।तुलसी के पत्ते: तुलसी आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली के लिए अच्छी है। दिन में दो बार कुछ पत्तियां चबाएं या तुलसी की चाय पिएं। चाय में शहद मिलाना भी अच्छा रहता है।लहसुन: लहसुन जोड़ों के दर्द और सूजन को कम कर सकता है। थोड़े से लहसुन को तेल में पकाकर दर्द वाले जोड़ों पर मलें। अधिक लहसुन खाने या पूरक आहार लेने से भी मदद मिल सकती है, लेकिन पहले अपने डॉक्टर से पूछें।हल्दी: यह मसाला सूजन और उपचार में मदद करता है। गर्म दूध में हल्दी पाउडर मिलाकर दिन में दो बार पियें। आप अपने जोड़ों पर हल्दी का पेस्ट भी लगा सकते हैं।अदरक: अदरक की चाय सूजन और दर्द को कम कर सकती है। पानी में अदरक उबालें और इसमें नींबू और शहद भी मिला सकते हैं.नारियल पानी: नारियल पानी पीने से आप हाइड्रेटेड रहते हैं और बुखार और पसीने से खोए खनिजों की भरपाई होती है। यह विषाक्त पदार्थों से छुटकारा पाने में भी मदद करता है और पाचन में सुधार करता है।एप्सम सॉल्ट सोख: एप्सम सॉल्ट के साथ गर्म पानी में भिगोने से आपकी मांसपेशियों और जोड़ों को आराम मिल सकता है, जिससे दर्द और जकड़न में मदद मिलती है। राहत के लिए दिन में एक या दो बार ऐसा करें।Source:-https://www.odomosprotect.com/blog/prevent-and-treat-chikungunya-with-these-home-remediesDisclaimer:-This information is not a substitute for medical advice. Consult your healthcare provider before making any changes to your treatment. Do not ignore or delay professional medical advice based on anything you have seen or read on Medwiki.Find us at:https://www.instagram.com/medwiki_/?h...https://twitter.com/medwiki_inchttps://www.facebook.com/medwiki.co.in/

Disease एक्स अगली संभावित महामारी

डिजीज एक्स सुनने में किसी sci-fi फिल्म जैसा लग सकता है, लेकिन यह एक ऐसी अवधारणा है जिसे वैज्ञानिक और स्वास्थ्य विशेषज्ञ गंभीरता से लेते हैं। तो, वास्तव में रोग एक्स क्या है, और हमें चिंतित क्यों होना चाहिए?डिजीज एक्स विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा एक काल्पनिक, अज्ञात रोगज़नक़ के लिए गढ़ा गया एक शब्द है जो वैश्विक महामारी या महामारी का कारण बन सकता है जो कि COVID​​-19 वायरस से 20 गुना अधिक घातक हो सकता है। फरवरी 2018 में, वैश्विक स्तर पर इसके महत्व पर जोर देते हुए, रोग एक्स को अनुसंधान और विकास के लिए WHO की प्राथमिकता सूची में जोड़ा गया था।रोग एक्स स्वयं अभी तक अस्तित्व में नहीं है, लेकिन यह विचार संभावित भविष्य के health risk का प्रतिनिधित्व करता है। कोविड-19 इस बात का उदाहरण है कि कैसे बिना तैयारी के बड़े पैमाने पर बीमारी और मृत्यु हो सकती है।हालाँकि रोग एक्स का समय और उत्पत्ति अनिश्चित बनी हुई है, विशेषज्ञों का कहना है कि यह कोई बात नहीं है, बल्कि यह है कि रोग हाल के प्रकोप बढ़ते जोखिम को दर्शाते हैं, और एक अध्ययन से पता चलता है कि हर साल COVID-19 जैसी महामारी होने की 50 में से 1 संभावना है।एक नई महामारी रोग एक्स या परिवर्तित रोगाणु से हो सकती है, संभवतः चमगादड़ जैसे जानवरों से। रोग एक्स के विवरण को जाने बिना भी वैज्ञानिक टीके और उपचार तैयार करने के लिए मानव रोगों का कारण बनने वाले 25 वायरस परिवारों पर ध्यान केंद्रित करते हैं।Source:-WHO to identify pathogens that could cause future outbreaks and pandemics. (2022, February 6). WHO to identify pathogens that could cause future outbreaks and pandemics. https://www.who.int/news/item/21-11-2022-who-to-identify-pathogens-that-could-cause-future-outbreaks-and-pandemicsDisclaimer:-This information is not a substitute for medical advice. Consult your healthcare provider before making any changes to your treatment.Do not ignore or delay professional medical advice based on anything you have seen or read on Medwiki.Find us at:https://www.instagram.com/medwiki_/?h...https://twitter.com/medwiki_inchttps://www.facebook.com/medwiki.co.in/

सामान्य सर्दी के लिए उपयोग की जाने वाली 3 सामान्य दवाएँ!

सर्दी के लक्षणों का इलाज भरपूर आराम करने, fluids पीने और डॉक्टर के पर्चे के बिना मिलने वाली दर्द या सर्दी और खांसी की दवाओं का उपयोग करके किया जा सकता है।जबकि सर्दी के लिए उपयोग की जाने वाली सबसे आम दवाएं हैं:1. सेट्रिज़िन/लेवोसेट्रिज़िन: सेट्रिज़िन और लेवोसेट्रिज़िन एंटीहिस्टामाइन हैं जिनका उपयोग एलर्जी के लक्षणों से राहत के लिए किया जाता है। लेवोसेटिरिज़िन second generation का एंटीहिस्टामाइन है। दोनों दवाएं हिस्टामाइन को block करके काम करती हैं, यह एक पदार्थ है जो एलर्जी के लक्षणों का कारण बनता है।सेट्रिज़िन के सामान्य ब्रांड नाम: सेट्रिज़िन, ज़िरटेक और एलरसेट।लेवोसेट्रिज़िन के Common brand names: ज़ायज़ल और लेवरिक्सdose: लेवोसेटिरिज़िन के लिए 5 मिलीग्राम और सेटीरिज़िन के लिए 5-10 मिलीग्राम।side effects: Drowsiness, dry mouth, and rash।2. क्लोरफेनिरामाइन: यह एक एंटीहिस्टामाइन है जो mucus production को कम करता है और खुजली से राहत देता है।Common brand names: एविल, पिरिटन।dose: वयस्क: हर 4-6 घंटे में 4 मिलीग्राम, प्रति दिन 24 मिलीग्राम से अधिक नहीं।Side effects: Drowsiness, dry mouth, blurred vision।3. विटामिन सी: यह एक एंटीऑक्सीडेंट है जो टी-लिम्फोसाइट फ़ंक्शन, ल्यूकोसाइट गतिशीलता को बढ़ाकर immune system को बढ़ावा देता है और सर्दी के लक्षणों की अवधि और गंभीरता को कम करता है।Common brand names: सेलिन, लिम्सी।dose: वयस्क: प्रति दिन 500-1000 मिलीग्राम।Side effects: कोई नहीं.Souce:-List of drugs/medicine used for Common Cold. (2024, February 16). List of drugs/medicine used for Common Cold. https://www.medindia.net/drugs/medical-condition/commoncold.htmDisclaimer:-This information is not a substitute for medical advice. Consult your healthcare provider before making any changes to your treatment. Do not ignore or delay professional medical advice based on anything you have seen or read on Medwiki.Find us at:https://www.instagram.com/medwiki_/?h..https://twitter.com/medwiki_inchttps://www.facebook.com/medwiki.co.in/

क्या आपके पेट के बैक्टीरिया संक्रमण से लड़ सकते हैं?

क्या आपने कभी सोचा है कि आपके गट बैक्टीरिया (gut bacteria) आपको इन्फेक्शन (infection) से लड़ने में मदद कर सकते हैं?हाल ही में एक रिसर्च (research) से पता चला है कि हमारे गट का माइक्रोबायोम (microbiome) हमारी इम्यून सिस्टम (immune system) को मजबूत बनाने में बड़ी भूमिका निभाता है।आइए जानते हैं कुछ अहम बातें जो इसे और भी रोचक बना देंगी:1. एंटीबॉडी हमारे शरीर के वो प्रोटीन हैं जो इन्फेक्शन से लड़ते हैं। रिसर्च से पता चला है कि गट बैक्टीरिया इन एंटीबॉडी के निर्माण में मदद करते हैं, जिससे हमारा शरीर मजबूत बनता है।2. गट का माइक्रोबायोम कई तरीकों से इम्यून सिस्टम से संपर्क करता है। ये बातचीत इम्यून सिस्टम को इन्फेक्शन पहचानने और उससे लड़ने में मदद करती है, जिससे हम बीमारियों से सुरक्षित रहते हैं।3. कुछ खास तरह के गट बैक्टीरिया हमें हानिकारक पैथोजन्स जैसे सैल्मोनेला (Salmonella) और ई. कोलाई (E. coli) से बचाते हैं। ये बैक्टीरिया हमारे लिए एक सुरक्षा कवच का काम करते हैं।4. एंटीबायोटिक्स हानिकारक बैक्टीरिया को मारने के लिए बनाई जाती हैं, लेकिन ये हमारे गट के अच्छे बैक्टीरिया को भी नुकसान पहुंचा सकती हैं। इससे इम्यून सिस्टम कमजोर हो जाता है और इन्फेक्शन का खतरा बढ़ जाता है।5. एक हेल्दी गट का माइक्रोबायोम हमारी इम्यून सिस्टम की इन्फेक्शन से लड़ने की क्षमता को बढ़ा सकता है। इसलिए, गट को स्वस्थ रखना बहुत जरूरी है।अंत में, ये साफ है कि हमारे गट के बैक्टीरिया इन्फेक्शन से लड़ने में बहुत महत्वपूर्ण हैं। एक हेल्दी गट का माइक्रोबायोम बनाए रखकर, हम अपने इम्यून सिस्टम को मजबूत कर सकते हैं और हानिकारक पैथोजन्स से खुद को बचा सकते हैं। अपने गट को स्वस्थ रखें और मजबूत बनाएं!Source:-1. Maciel-Fiuza, M. F., Muller, G. C., Campos, D. M. S., do Socorro Silva Costa, P., Peruzzo, J., Bonamigo, R. R., Veit, T., & Vianna, F. S. L. (2023). Role of gut microbiota in infectious and inflammatory diseases. Frontiers in microbiology, 14, 1098386. https://doi.org/10.3389/fmicb.2023.10983862. Zhang, Y. J., Li, S., Gan, R. Y., Zhou, T., Xu, D. P., & Li, H. B. (2015). Impacts of gut bacteria on human health and diseases. International journal of molecular sciences, 16(4), 7493–7519. https://doi.org/10.3390/ijms16047493

मांस खाने वाले बैक्टीरिया संक्रमण जो 48 घंटों में आपको मार सकता है!

नमस्कार दोस्तों, आज हम बात करेंगे एक गंभीर इंफेक्शन के बारे में, जिसे "फ्लेश ईटिंग बैक्टीरिया" कहा जाता है। यह इंफेक्शन जापान में जून 2024 तक लगभग 1000 लोगों को प्रभावित कर चुका है और इसे Streptococcal Toxic Shock Syndrome (STSS) भी कहा जाता है।STSS क्या है?STSS एक तरह का इंफेक्शन है जो Group A Streptococcus (GAS) नामक बैक्टीरिया से होता है। ये बैक्टीरिया आमतौर पर गले में पाया जाता है और आमतौर पर स्किन इंफेक्शन या सोर थ्रोट का कारण बनता है। जब यह बैक्टीरिया शरीर के ऐसे हिस्सों में पहुँच जाता है जहाँ आमतौर पर बैक्टीरिया नहीं होते, जैसे कि गहरी मांसपेशियों में या खून में, तो यह STSS का कारण बन सकता है।कौन हो सकता है STSS से प्रभावित?-65 वर्ष से ऊपर के लोग-हाल ही में सर्जरी करवाने वाले व्यक्ति-जिन्होंने हाल ही में चिकनपॉक्स या शिंगल्स का सामना किया हो-डायबिटीज़, खुले घाव या छाले वाले व्यक्ति-नियमित रूप से अल्कोहल का सेवन करने वाले लोग-STSS के लक्षण क्या हैं?-STSS की शुरुआत बुखार, ठंड लगना, रैशेस, मांसपेशियों में दर्द, मिचली और उल्टी से होती है। इसके बाद यह तेजी से बिगड़ सकता है और 24-48 घंटों में ब्लड प्रेशर कम होना, हार्ट रेट बढ़ना और अंगों का फेल होना जैसी गंभीर समस्याएं हो सकती हैं।STSS का इलाज कैसे किया जाता है?STSS का इलाज एंटीबायोटिक्स और इंट्रावेनस फ्लूइड्स के साथ किया जाता है। कभी-कभी, इंफेक्टेड टिश्यू को हटाने के लिए सर्जरी की भी जरूरत पड़ सकती है।दोस्तों, STSS एक गंभीर स्थिति है और इसे इग्नोर करना खतरनाक हो सकता है। अगर आपको या आपके किसी जानने वाले को ये लक्षण दिखाई दें, तो तुरंत मेडिकल हेल्प लें। और हाँ, हमारे चैनल को सब्सक्राइब करना न भूलें, ताकि आप इस तरह की महत्वपूर्ण जानकारियों से अपडेटेड रहें।Source:-1. Davies H. D. (2001). Flesh-eating disease: A note on necrotizing fasciitis. The Canadian journal of infectious diseases = Journal canadien des maladies infectieuses, 12(3), 136–140. https://doi.org/10.1155/2001/8571952. Dennis L. Stevens, The Flesh-Eating Bacterium: What's Next?, The Journal of Infectious Diseases, Volume 179, Issue Supplement_2, March 1999, Pages S366–S374, https://doi.org/10.1086/513851

त्रिपुरा के 828 छात्रों को हुआ HIV/AIDS, 47 की मौत! क्या है पूरा सच?

त्रिपुरा के स्कूल और कॉलेजों में 800 से ज्यादा स्टूडेंट्स में HIV पॉजिटिव पाया गया है:इनमें से 47 स्टूडेंट्स की मौत हो चुकी है।रोज़ाना 5-7 नए HIV पॉजिटिव केस सामने आ रहे हैं।यह डेटा 220 स्कूलों और 24 कॉलेजों से लिया गया है।HIV के फैलाव से स्टूडेंट्स बहुत डर गए हैं:कई बच्चे हायर एजुकेशन के लिए दूसरे राज्यों में चले गए हैं।कई HIV पॉजिटिव स्टूडेंट्स भी बाहर पढ़ाई के लिए जा चुके हैं।यह डेटा त्रिपुरा स्टेट एड्स कंट्रोल सोसाइटी (TSACS) ने प्रोवाइड किया है:त्रिपुरा सरकार के अनुसार, यह डेटा 17 साल का रिकॉर्ड है (अप्रैल 2007 से मई 2024 तक)।HIV/AIDS होने का मुख्य कारण:HIV इन्फेक्टेड इंसान से सेक्सुअल कॉन्टैक्ट।पर यह स्टूडेंट्स इंजेक्टेबल ड्रग्स लेते थे।सेम नीडल के इस्तेमाल से HIV फैल गया:HIV वायरस ब्लड के थ्रू ट्रांसमिट होता है और इंफेक्ट करता है।रिसर्च से पता चला है:अधिकतर स्टूडेंट्स के पेरेंट्स गवर्नमेंट जॉब में थे।पेरेंट्स ने बच्चों की ख्वाहिश पूरी करने में ध्यान नहीं दिया कि उनका बच्चा ड्रग्स ले रहा है।त्रिपुरा में अब तक 8,729 एक्टिव HIV केस रजिस्टर हो चुके हैं:इनमें सिर्फ स्टूडेंट्स ही नहीं, बाकी प्रोफेशनल्स भी शामिल हैं।5,674 पेशेंट्स अभी ज़िंदा हैं, जिनमें 4,570 मेल्स, 1,103 फीमेल्स और 1 ट्रांसजेंडर हैं।गवर्नमेंट द्वारा HIV पॉजिटिव पेशेंट्स को फ्री एंटी रेट्रोवायरल ट्रीटमेंट (ART) दी जा रही है:ART में कॉम्बिनेशन ऑफ मेडिसिन्स का यूज़ किया जाता है, जिससे वायरस का ग्रोथ कम हो जाता है।इम्यून सिस्टम को प्रिजर्व करता है, जिससे HIV/AIDS का प्रोग्रेशन कम हो जाता है।काउंसलिंग और रिहैबिलिटेशन भी प्रोवाइड की जा रही है ताकि HIV का ट्रांसमिशन कम हो और सब्सटेंस यूज़ को मैनेज किया जा सके।Source:-1. https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC8000677/2. https://health.tripura.gov.in/aids-control-programme

डेंगू का प्रकोप: लक्षण, निदान और उपचार!

डेंगू का प्रकोप आजकल बहुत ज्यादा हो गया है और यह हम सबके लिए बहुत ही चिंता का विषय है।डेंगू क्या है?डेंगू एक वायरल इंफेक्शन है जो मच्छरों के काटने से मनुष्य में फैलता है। डेंगू वायरस (Dengue virus) हल्के बुखार से शुरू होता है और कई अन्य परेशानियों का कारण बन सकता है।डेंगू से जुड़े लक्षण:सामान्य लक्षण:बहुत तेज सर दर्दतेज बुखार (आमतौर पर लगभग 104 डिग्री फारेनहाइट)मांसपेशियों और जोड़ों में दर्दउल्टी आनात्वचा पर चकत्ते (rashes) पड़ जानाआंखों के पीछे दर्द होनागंभीर लक्षण: (अक्सर बुखार खत्म होने के बाद आते हैं)पेट में तेज दर्द होनातेजी से सांस लेनामसूड़े, नाक या आंखों से खून आनाथकान और कमजोरी महसूस होनालगातार उल्टियां होनाउल्टी या मल (potty/ stool) में खून आनाबहुत ज्यादा प्यास लगनादूसरी बार संक्रमित होने वाले व्यक्तियों को गंभीर डेंगू का खतरा अधिक होता है।डेंगू का परीक्षण और उपचार:खून की जांच से डेंगू वायरस का पता लगाया जा सकता है। एक बार रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद व्यक्ति को इलाज और देखभाल दोनों की जरूरत होती है। डेंगू का कोई विशेष उपचार नहीं है, केवल लक्षण संबंधित दवाइयां ही दी जाती हैं। दर्द और बुखार के लिए पैरासिटामोल का सेवन किया जाता है। आइबुप्रोफेन और एस्पिरिन जैसी दवाइयों से बचना चाहिए क्योंकि ये खून बहने का खतरा बढ़ा सकती हैं। गंभीर मामलों में अस्पताल में भर्ती होना जरूरी हो सकता है।डेंगू से कैसे बचे:डेंगू का कोई टीकाकरण नहीं है, इसलिए सावधानी बरतना आवश्यक है।डेंगू फैलाने वाले मच्छर दिन के समय सक्रिय होते हैं, इसलिए:ऐसे कपड़े पहनें जो आपके शरीर को जितना संभव हो उतना ढक सकें।दिन में सोते समय मच्छरदानी का प्रयोग करें।मच्छर भगाने वाले रैपलेंट्स का उपयोग करें (जिनमें DEET, Picaridin या IR3535 हो)।मच्छर भगाने वाली कॉइल्स और वेपोराइज़र का प्रयोग करें।घर की जाली वाली खिड़कियों का उपयोग करें और उन्हें बंद रखें।इसके साथ:जिन भी चीजों में पानी भरा हो उन्हें हर हफ्ते खाली करके साफ करें।कूड़े को सही जगह पर फेंकें।समुदाय में किसी भी तालाब या वस्तु में पानी जमा न होने दें क्योंकि रुके हुए पानी में मच्छर अंडे देते हैं।पानी से भरी वस्तुओं में उचित कीटनाशक लगाएं।सुरक्षित रहें, स्वस्थ रहें!Source:-1. https://www.who.int/news-room/fact-sheets/detail/dengue-and-severe-dengue2. https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC5524668/

केरल में 14 साल के लड़के की निपाह वायरस के कारण मौत!

निपाह वायरस की जानकारी1. चमगादड़ से इंसानों में फैलने वाले वायरस:केवल कोरोनावायरस नहीं, निपाह वायरस भी शामिल है।21 जुलाई 2024 को केरल के एक 14 साल के लड़के की निपाह वायरस से मृत्यु हो गई।इस घटना के बाद केरल के स्वास्थ्य मंत्री ने पूरे राज्य में हाई अलर्ट जारी कर दिया है।2. निपाह वायरस का परिचय:निपाह वायरस एक zoonotic वायरस है, जो चमगादड़ या अन्य जानवरों (जैसे पिग्स) से इंसानों में फैलता है।1999 में मलेशिया में सबसे पहले पिग फार्मर्स में देखा गया।इसके बाद सिंगापुर, बांग्लादेश और भारत में भी इसके केस सामने आए।3. फैलने के तरीके:संक्रमित जानवरों के सीधे संपर्क से।फ्रूट-बैट्स के झूठे फलों के सेवन से।संक्रमित व्यक्ति के सीधे संपर्क से।4. लक्षण और संकेत:शुरुआती लक्षण: बुखार, सिरदर्द, गले में खराश, मांसपेशियों में दर्द, उल्टी।बाद में: चक्कर आना, नींद आना, फोकस न कर पाना।गंभीर मामलों में: 24-48 घंटे के अंदर निमोनिया, एक्यूट रेस्पिरेटरी डिस्ट्रेस, एन्सेफलाइटिस (दिमाग में सूजन), और कोमा।5. इन्क्यूबेशन पीरियड और टेस्टिंग:इन्क्यूबेशन पीरियड: 4-14 दिन।टेस्टिंग: RT-PCR (रियल टाइम पॉलीमरेज़ चेन रिएक्शन) या ELISA (एंजाइम लिंक्ड इम्यूनोसॉर्बेंट एसे) से।6. उपचार और रोकथाम:वर्तमान में कोई उपचार या वैक्सीन नहीं है।WHO ने निपाह वायरस को एक प्राथमिकता वाली बीमारी के रूप में पहचाना है।गंभीर मामलों में इंटेंसिव सपोर्टिव केयर की आवश्यकता हो सकती है।रोकथाम के उपाय:पिग फार्म्स को साफ और डिसइंफेक्ट करना।हाथों को साबुन और पानी से धोना।संक्रमित जानवरों की मूवमेंट रोकना।Source:-1. https://www.ncbi.nlm.nih.gov/books/NBK570576/2. https://www.who.int/news-room/fact-sheets/detail/nipah-virus

क्या Monkey Pox Virus है Covid से भी ख़तरनाक? | WHO ने किया High Alert जारी | जानिए ख़ौफ़नाक सचाई!

2022 में monkeypox outbreak के बाद, World Health Organization (WHO) ने experts को बुलाया है यह decide करने के लिए कि क्या यह spread ज्यादा dangerous है और क्या इसे international emergency declare किया जाना चाहिए, क्योंकि यह 10 से ज्यादा African countries को affect कर चुका है।Monkeypox, जो कि mpox के नाम से भी जाना जाता है, एक viral zoonotic disease है जो animals से humans में spread होती है। यह monkeypox virus के वजह से होता है। Historically, यह Central Africa और West Africa में पाया गया था। Monkeypox का पहला human case एक 9 महीने का baby था जो Democratic Republic of the Congo, Central Africa से था।Monkeypox एक mild illness है जो 2-4 weeks में recover हो सकती है। इसके symptoms हैं: swollen lymph nodes, fever, headache, muscle aches, back pain, fatigue, और एक rash जो pimples और blisters के साथ body के अलग-अलग parts पे appear होती है, including face, palms, और groin area, और यह painful हो सकती है।Monkeypox कई तरीकों से transmit होता है जैसे कि:infected individuals के साथ close contact, जैसे कि kissing, touching, या sexual contactBody fluids, जैसे कि sneezing या coughing सेInfected animals से, especially hunting या cooking के दौरान।Contaminated towels, clothes, या bedding सेऔर Mother से unborn baby को placenta के through भी transmit हो सकता है।Weak immune systems वाले लोग और जो लोग multiple sex partners रखते हैं या sex workers हैं, उनको monkeypox होने का ज्यादा risk होता है।Monkeypox diagnose करने के लिए PCR (Polymerase Chain Reaction) test किया जाता है, जिसमें body fluids या skin से swabs लिए जाते हैं। अगर infected person से contact के 4 दिन के अंदर mpox vaccine लगवा लो, तो disease prevent हो सकती है।Monkeypox को Prevent करने के लिए ये measures ज़रूरी हैं:हाथों को बार-बार soap और water से धोना।Infected individuals से close contact avoid करना।Mask पहनना और surfaces को disinfect किए बिना touch न करना।अगर आपको monkeypox के symptoms लगते हैं, तो doctor से consult करें ताकि complications से बचा जा सके।Source:- 1. https://www.who.int/news-room/fact-sheets/detail/monkeypox 2. https://www.who.int/news-room/fact-sheets/detail/monkeypox

डेंगू | मच्छरों से होने वाली बीमारियाँ Part-1 | लक्षण और उपचार !

जैसे कि आपने हमारे पिछले वीडियो में देखा था कि जब भी पानी कहीं भर जाता है तो उसमें मच्छर पनपने लगते हैं जिसकी वजह से कुछ स्वास्थ्य संबंधित परेशानियां खड़ी हो जाती है।इस वीडियो में हम इन्हीं मच्छरों से होने वाली कुछ बीमारियों के बारे में बात करेंगे। यह बीमारियां साधारण रूप से लेकर काफी खतरनाक भी हो सकती हैं।आईए जानते हैं डेंगू के कुछ लक्षण, किस तरह से हम अपने आप को इन बीमारियों से बचा सकते हैं एवं इनके कुछ इलाज।डेंगू एक संक्रमण है जो मच्छरों (Aedes aegypti) के काटने से मनुष्य में फैलता है। ऐसे मच्छर ज्यादातर कहीं ठहरे हुए पानी में ही अंडे देते हैं।डेंगू के लक्षण: बहुत तेज सर दर्द, तेज बुखार (आमतौर पर लगभग 104 degree F), मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द, उल्टी आना, त्वचा पर चकत्ते (rashes) पड़ जाना एवं आंखों के पीछे दर्द होना।डेंगू से बचाव के कुछ तरीके: इस बीमारी का कोई टीकाकरण नहीं है। डेंगू फैलाने वाले मच्छर दिन के समय में सक्रिय (active) होते हैं, इसीलिए ऐसे कपड़े पहने जो आपके शरीर को जितना संभव हो उतना ढक सके, दिन में सोते समय मच्छरदानी का प्रयोग करें, मच्छर भगाने वाली वस्तुओं (repellants) का उपयोग करें (containing DEET, Picaridin or IR3535), मच्छर भगाने वाली coils एवं vaporizer का प्रयोग करें, हर समय अपने घर की जाली की खिड़कियां बंद रखें।साथ ही जिन भी चीजों में पानी भरा हो उन्हें हर हफ्ते खाली करके साफ किया जाए, कूड़े को सही जगह फेका जाए, समुदाय में किसी भी तालाब या वस्तु में पानी जमा न होने दे क्योंकि रुके हुए पानी में मच्छर अंडे देते हैं एवं पानी से भरी वस्तुओं में उचित कीटनाशक जरूर लगाए।डेंगू का उपचार: हालांकि डेंगू का कोई उपचार नहीं है, केवल लक्षण संबंधित दवाइयां ही दी जाती हैं। Paracetamol का सेवन ज्यादातर दर्द के लिए किया जाता है। Ibuprofen और Aspirin जैसी दवाइयां नहीं दी जाती क्योंकि यह खून के बहने का खतरा बढ़ा देती हैं। कुछ गंभीर मामलों में अस्पताल में भरती होना जरूरी हो जाता है।Source:- 1. https://www.who.int/news-room/fact-sheets/detail/dengue-and-severe-dengue

मलेरिया | मच्छरों से होने वाली बीमारियाँ Part-2 | लक्षण और उपचार !

मलेरिया एक जानलेवा बीमारी है जो कि संक्रमित मच्छरों (Anopheles mosquitoes) से मनुष्य में फैलती है। हालांकि देखा गया है कि blood transfusion एवं contaminated needles से भी मलेरिया फैल सकता है।मलेरिया के लक्षण: इसके लक्षण आमतौर पर मच्छर के काटने के 10 से 15 दिनों के बाद दिखने शुरू होते हैं। लक्षण साधारण से होकर गंभीर रूप तक कैसे भी हो सकते हैं। साधारण लक्षणों में बुखार, ठंड लगना और सर दर्द आता है जबकि गंभीर लक्षणों में थकान, दौरा पड़ना, भ्रम में रहना, मूत्र का गहरा रंग होना या उसमें खून होना, पीलिया और सांस लेने में कठिनाई होती है।मलेरिया से बचाव के कुछ तरीके: मच्छरों के काटने से बचकर और कुछ दवाओं से मलेरिया को रोका जा सकता है। समय पर उपचार होने से इसकी गंभीरता को रोका जा सकता है। मलेरिया पीड़ित क्षेत्र में जाने से पहले, अपने चिकित्सक से परामर्श करके chemoprophylaxis जैसी दवा ले सकते हैं।मच्छरों के काटने से बचने के लिए ऐसे कपड़े पहने जो आपके शरीर को ज्यादा से ज्यादा ढक सके, सोते समय मच्छरदानी का उपयोग करें, मच्छर भगाने वाली वस्तुओं (repellants) का उपयोग करें (containing DEET, Icaridin or IR3535), मच्छर भगाने वाली coils एवं vaporizer का प्रयोग करें, हर समय अपने घर की जाली की खिड़कियां बंद रखें।मलेरिया के उपचार: मलेरिया से बचाव एवं उपचार के लिए कई दवाओं का उपयोग किया जाता है। किस तरह की दवाई मरीज को देनी है यह एक डॉक्टर निम्न बातों को ध्यान में रखते हुए तय करता है:मलेरिया का प्रकारक्या मलेरिया parasite किसी दवा के प्रति प्रतिरोधी (resistant) हैमरीज का वजन और उम्रक्या मरीज गर्भवती (pregnant) हैकुछ सबसे आम दवाएं:Artemisinin आधारित दवाएं एवं Chloroquine : उपचार में काम आती हैंPrimaquine: संक्रमण को दोबारा न होने देने के प्रति काम करती है(Artemisinin-based combination therapy medicines: Effective in treatment for P. falciparum malaria.Chloroquine: Effective in treatment of infection with the P. vivax parasite only in places where it is still sensitive to this medicine.Primaquine: Is added to the main treatment to prevent relapse of infection with the P. vivax and P. ovale parasites)ज्यादातर दवाइयां गोली के रूप में ही होती है। केवल कुछ ही लोगों को इंजेक्शन के लिए अस्पताल जाने की जरूरत पड़ सकती है।source: https://www.who.int/news-room/fact-sheets/detail/malaria