Adults और बच्चों में Viral बुखार के लक्षण?
हमारी body का normal temperature 98.6 degree Fahrenheit होता है। Viral fever में body का temperature normal से अधिक होता है जो कि virus के कारण हो सकता है। हर बार जब कोई virus आता है, तो यह जरूरी नहीं है कि हम बुखार का अनुभव करें, लेकिन बुखार का अनुभव होना इस बात का संकेत हो सकता है कि शरीर infection से लड़ने की कोशिश कर रहा है। Actually बुखार में शरीर का temperature बढ़ जाता है जिससे infections ख़तम होने लगते हैं और वह multiply नहीं हो पाते।बच्चों में बुखार का पता इन temperatures से लगाया जा सकता है:Rectal, Ear और forehead पर: 100.4 degree fahrenheit से अधिक।Oral: 100 degree fahrenheit से अधिक।Armpit पर: 99 degree fahrenheit से अधिक।Viral fever के लक्षण:बुखार होने पर, व्यक्ति को इन लक्षणों का अनुभव हो सकता है:कंपकंपी या ठंड लगनापसीना आनाभूख कम लगनाDehydrationदर्द के प्रति sensitivityEnergy में कमीconcentration में कठिनाईछोटे बच्चों को जब बुखार होता है:वह छूने में गरम लगते हैंउनके गाल फीके से पड़ जाते हैंउन्हें बहुत पसीना आता हैतेज़ बुखार के मामले में व्यक्ति चिड़चिड़ा और उलझा हुआ सा हो जाता है और उसे दौरे पड़ सकते हैं।Source:-https://www.medicalnewstoday.com/articles/168266?formCode=MG0AV3#_noHeaderPrefixedContent
स्लीप एपनिया से जुड़े health problems और treatment के कुछ विकल्प I
Sleep Apnea एक ऐसी स्थिति है जिसमें सोते समय सांस बार-बार रुक जाती है। इससे overall health पर प्रभाव पड़ सकता है।हालांकि, कुछ लोग इसे मामूली लक्षण समझ कर अनदेखा कर देते हैं, लेकिन यदि इसे अनजाने में छोड़ दिया जाए या इसका इलाज न किया जाए, तो लंबे समय में यह शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य दोनों के लिए हानिकारक हो सकता है।Sleep Apnea में सबसे पहले व्यक्ति को दिन के समय बहुत नींद आती है और वह हमेशा थका हुआ सा महसूस करफ़्ता है। यह concentration, decision making power, और अपने behaviour पर नियंत्रण रखने को मुश्किल कर देता है।बच्चों में, Sleep Apnea रात की नींद के pattern को बाधित कर सकता है, जिससे उनके लिए concentrate करना, सही से पढ़ना और चीजों को याद रखना मुश्किल हो जाता है, जिससे उनके academic scores पर भी असर पड़ता है।Adults को गंभीर रूप से नींद से वंचित रहने की वजह से dementia भी हो सकता है।केवल मानसिक स्वास्थ्य ही नहीं, Sleep Apnea शारीरिक स्वास्थ्य को भी गंभीर रूप से प्रभावित करता है। सांस लेने में बार-बार रुकावट का चक्र शरीर में oxygen का स्तर कम कर सकता है, जिससे किसी व्यक्ति के organs और blood vessels को और नुकसान हो सकता है।सही से इसका उपचार न होने पर, भविष्य में विभिन्न प्रकार की health conditions का खतरा बढ़ सकता है, जिनमें शामिल हैं:हृदय रोग: Sleep Apnea दिल के दौरे, stroke, high blood pressure और अन्य हृदय सम्बंधित समस्याओं के जोखिम से जुड़ा हुआ है।सांस की समस्याएं: जैसे कि Asthma और chronic obstructive pulmonary disease (COPDMetabolic disorders: Sleep Apnea मोटापा, Type 2 diabetes और metabolic syndrome के जोखिम से जुड़ा हुआ है।किडनी रोग: अनियंत्रित Sleep Apnea से क्रोनिक किडनी रोग हो सकता है।कैंसर: जैसे कि pancreatic, renal, and skin कैंसर।यदि आप या आपका कोई परिचित Sleep Apnea के लक्षणों का अनुभव कर रहा है, तो जल्द से जल्द medical help लेना बहुत महत्वपूर्ण है। शुरुआत में ही इसका निदान और उपचार हो जाए तो इस स्थिति से जुड़े गंभीर health problems से बचने में मदद मिल सकती है।Source:- 1. https://stanfordhealthcare.org/medical-conditions/sleep/obstructive-sleep- apnea/treatments.html 2. https://pubmed.ncbi.nlm.nih.gov/31300334/
Hypersomnia: दिन में अत्यधिक नींद आने के पीछे के कारण और क्या करें?
Excessive sleepiness, जिसे अक्सर hypersomnia के रूप में जाना जाता है, आपके दैनिक जीवन को काफी प्रभावित कर सकता है। हम इसके बारे में अक्सर बात करते हैं और बेहतर नींद के लिए सलाह देते हैं, जैसे कि सोने से पहले किताब पढ़ना और रात में वीडियो नहीं देखना। लेकिन यह हमेशा इतना आसान नहीं होता, यह कुछ serious health conditions का लक्षण भी हो सकता है।Excessive sleepiness के कुछ सामान्य कारणESD के कारणों को तीन अलग-अलग भागों में बांटा जा सकता है:चिकित्सा कारक (Medical Factors):Sleep Apnea: नींद के दौरान बार-बार सांस रुकना और शुरू होना। यह अच्छे से सोने में परेशानी पैदा करता है।Narcolepsy: अचानक नींद लाने और दिन में ज्यादा नींद लाने वाली एक neurological condition।नींद में पैर हिलाने की आदत: एक neurological condition जिसमें व्यक्ति को सोते सोते पैरों को हिलाने की इच्छा होती है। यह अच्छे से सोने में परेशानी पैदा करता है।Depression: एक mental health condition जिसकी वजह से बहुत थकान महसूस होती है और रात में अच्छी नींद आने में कठिनाई होती है, और पूरे दिन नींद आती रहती है।जीवनशैली कारक (Lifestyle Factors):अपर्याप्त नींद: शरीर की आवश्यकता से कम नींद लेने से दिन के समय में बहुत ज्यादा नींद आ सकती है।सही से ना सोना: अनियमित नींद का समय, शोर या नींद का सही वातावरण ना होने से नींद की समस्याएं होती हैं।दवाएं: कुछ दवाएं, जैसे antidepressants, antihistamine, और pain relievers भी नींद का कारण बनते हैं।शराब और ड्रग्स: शराब और ड्रग्स नींद के pattern में बाधा डालते हैं।अन्य कारक (Other Factors):Genes : कुछ लोगों के genes ही नींद अच्छे से ना आने का कारण होते हैं।Shift work: अनियमित job timings, शरीर के natural sleep cycle को बाधित कर सकते हैं।यदि आप Excessive sleepiness का अनुभव कर रहे हैं, तो doctor से consult करना महत्वपूर्ण है जिससे आपकी अपनी परेशानी का सही कारण पता लग पाए और उसके हिसाब से treatment भी हो पाए।Source:-1. https://www.ncbi.nlm.nih.gov/books/NBK19961/#:~:text=The main symptom of sleep,Dinges et al.%2C 2005) 2. https://hms.harvard.edu/news/sleepless-genes#:~:text=Insomnia affects around 10 to,risk of insomnia is inherited.
अच्छी नींद के 7 आसान Tips | Improve Your Sleep Naturally for Better Health!
अच्छे स्वास्थ्य के लिए अच्छे से सोना बहुत जरूरी है, इस बात में कुछ भी नया नहीं है लेकिन, आज के lifestyle में लोगों को आराम और नींद के लिए मुश्किल से ही समय मिल पाता है।अच्छी diet और exercise जितना हमारे लिए जरूरी है, उतनी ही जरूरी है अच्छी नींद। यह brain performance, mood और health सभी के लिए महत्वपूर्ण है।नींद अच्छे से पूरी न होने से heart diseases, stroke, obesity और dementia जैसी बहुत सी बीमीरियों का ख़तरा बढ़ जाता है।नींद हमारे लिए repairing mechanism के रूप में भी काम करती है।अच्छी नींद लाने के लिए 7 उपाय (Tips):ऐसे तो सोना रोज़ का सा काम लगता है, लेकिन कभी-कभी हमें अच्छे से सोने के लिए मदद की ज़रूरत पड़ती है और ये 7 tips आपको अच्छे से सोने में मदद कर सकती हैं:1. रोजाना exercise करें: रोजाना exercise करने या brisk walk करने न केवल वजन कम करने में मदद मिलती है, बल्कि इससे अच्छी नींद भी आती है। यह हमारे अंदर melatonin hormone को बढ़ाने में मदद करता है जिससे अच्छी नींद आती है।2. Bed को केवल सोने के लिए ही reserved रखें: एक बार जब आप बिस्तर पर आ जाएँ, तो उसके बाद phone calls, texting, emails का जवाब, reels, TV aur youtube videos से बचें। बिस्तर पर आने के बाद केवल आराम करें और सोने पर ध्यान दें।3. Room का environment आरामदायक बनायें: अपने कमरे में जितना हो सके आरामदायक वातावरण बनाने का प्रयास करें। कमरे का वातावरण एकदम शांत, अंधेर और ठंडा होना चाहिए। याद रखें सोते समय TV और अपना smartphone कमरे में न रखें; ये बहुत ही बड़े distractions हैं।4. अपने सोने का एक ritual बनायें: जैसे जब हम बच्चे थे तो एक लोरी हमें रोज़ाना सोने में मदद करती थी, वैसे ही रोज़ाना का एक सामान ritual, adults को भी सोने में मदद कर सकता है। चाहे वह गर्म दूध पीना हो, किताब पढ़ना हो या शांत संगीत सुनना हो, ये गतिविधियां आपके शरीर को संकेत देते हैं कि यह सोने का समय है। इसके अलावा, हर दिन एक ही समय पर सोने और उठने की कोशिश करें। इससे आपके शरीर को सोने के लिए एक healthy pattern मिलने में मदद मिलती है।5. सोने से पहले सोच समझ के खाएं: सोने से पहले भूखे रहना या बहुत अधिक पेट भरा हुआ होना, दोनों ही आपको सोने के समय परेशान कर सकते हैं। सोने से दो-तीन घंटे पहले बहुत ज्यादा खाना ना खाएं। यदि आपको सोने से पहले भूख लग रही है, तो कुछ थोड़ा सा healthy snack खाएं जो सुबह तक के लिए आपकी भूख शांत कर दे।6. शराब और कैफीन से बचें: सोने से पहले wine पीने और chocolate खाने से बचें। इनमें caffiene की मात्रा बहुत अधिक होती है, जिससे आपको थोड़ी नींद आती है, लेकिन यह वास्तव में रात में नींद को disrupt करता है।7. तनाव मुक्त रहें: तनाव से ऐसे hormones release होते हैं जो नींद के खिलाफ काम करते हैं। सोने से पहले खुद को शांत होने के लिए समय दें। Deep breathing जैसे कुछ relaxation techniques का उपयोग करें, जो अच्छी नींद को बढ़ावा दे सकते हैं और दिन के समय में भी चिंता को कम करने में मदद कर सकते हैं।अपनी नींद में सुधार के लिए इन आसान lifestyle changes को आजमाएं। लेकिन अगर आप खर्राटे लेने, छाती या गले में जलन, या रात में बेचैनी जैसे लक्षणों से जूझते हैं, तो आपको sleep apnea या GERD जैसी परेशानियां हो सकती हैं। ये नींद को disrupt कर सकते हैं और दिन भर में आपको थकान महसूस करवा सकते हैं। ऐसे मामलों में, सही diagnosis और treatment के लिए doctor से consult करना जरूरी है।Source:- 1. https://www.health.harvard.edu/newsletter_article/8-secrets-to-a-good-nights-sleep 2. https://www.nhlbi.nih.gov/files/docs/public/sleep/healthy_sleep.pdf
Belly Fat से जुडी बीमारियां और उससे निपटने के नुस्खे!
Belly fat (पेट की चर्बी) को कम करना आज लगभग हर किसी के लिए सबसे बड़ी चिंताओं में से एक है। इस वीडियो में हम पेट की चर्बी कम करने के कुछ आसान तरीके बताएंगे जो middle age में, delivery के बाद और सी-सेक्शन के बाद भी पेट की चर्बी कम करने में फायदेमंद हो सकते हैं।पेट की चर्बी कम करना क्यों महत्वपूर्ण हैYoung aged women (युवा वयस्कों) में, पेट की चर्बी पुरुषों की तुलना में कम होती है। Menopause के साथ इसमें बदलाव आता है। Middle aged women (ध्यम आयु वर्ग की महिलाओं) में, fat (वसा) शरीर के ऊपरी हिस्से में अधिक जमा होती है: hips और thighs के ऊपर। हो सकता है कि आपको अपना वजन बढ़ता हुआ न दिखे, लेकिन आपकी कमर के इंच माप में बढ़ रही है।पेट की चर्बी कुछ बीमारियों का कारण बन सकती है जैसे:हृदय रोगडिमेंशियाअस्थमास्तन कैंसरकोलोरेक्टल कैंसरपेट की चर्बी कम करने के सरल उपाय:आप अपना birth weight या अपने genes नहीं बदल सकते और आप menopause को भी नहीं रोक सकते। लेकिन फिर भी ऐसे कई तरीके हैं जिनसे पेट की चर्बी को कम किया जा सकता है। अच्छी खबर यह है कि आहार और व्यायाम दोनों परिवर्तनीय कारक बहुत अच्छी तरह से प्रतिक्रिया करते हैं क्योंकि hips और thighs पर fat की तुलना में पेट का fat अधिक आसानी से फैटी एसिड में metabolize हो जाता है।महिलाएं पेट कम करने के लिए ये 5 उपाय अपनी दिनचर्या में शामिल करें:1. व्यायाम: व्यायाम आपकी कमर के circumference को कम करने में मदद करता है। भले ही आपका वजन कम न हो, पेट की चर्बी कम हो जाती है और मांसपेशियां बढ़ जाती हैं। सामान्य गति से कम से कम 30 मिनट का व्यायाम रोज करें, जैसे तेज चलना या साइकिल चलाना। कुछ तरीके जिनसे आप रोजाना में ही गतिशीलता जोड़ सकते हैं जैसे अपने वाहन को गंतव्य से दूर पार्क करें और बाकी रास्ते पैदल चलें, लिफ्ट के बजाय सीढ़ियाँ लें, और खड़े होकर/चलकर फोन पर बात करें।2. संतुलित आहार: हमेशा संतुलित आहार को प्राथमिकता दें जो आपको स्वस्थ वजन हासिल करने में मदद करता है। फलों और सब्जियों, दालों, मेवों और बीजों के सेवन पर अधिक ध्यान दें। ऐसे खाद्य पदार्थों से बचें जो पेट की चर्बी जमा होने को बढ़ावा देते हैं, विशेष रूप से अतिरिक्त चीनी वाले खाद्य एवं पेय पदार्थ।3. धूम्रपान न करें: धूम्रपान आपके पेट में वसा जमा करने के लिए जिम्मेदार है। धूम्रपान ना करें।4. जितनी जरूरत हो उतना ही सोएं: 5 घंटे से कम या 8 घंटे से ज्यादा सोना, दोनों ही पेट की चर्बी जमा होने के लिए जिम्मेदार हैं। पेट की चर्बी कम करने के लिए लगभग 6 से 8 घंटे की नींद लें।Cosmetic (कॉस्मेटिक) वसा हटाने के लिए liposuction (लिपोसक्शन) पेट के अंदर तक नहीं पहुंचता है। इन सब इलाजों से बचें और अपने नियम में थड़ा सा बदलाव लाकर अपने लक्ष्य को प्राप्त करें।क्या अब पेट की चर्बी को कम करना आसान लग रहा है? कोई दवा नहीं - कोई सर्जरी नहीं।Source:-1. https://pubmed.ncbi.nlm.nih.gov/24635424/ 2. https://pubmed.ncbi.nlm.nih.gov/17384661/
तेल को बार-बार गर्म करने के नुकसान!
आज हर जगह लोग एक ही सवाल पूछ रहे हैं कि "खाना पकाने के तेल को दोबारा इस्तेमाल करने के क्या नुकसान हैं?"भारतीयों को तेल का उपयोग करके खाना पकाना बहुत अच्छा लगता है। और अगर भारत में कोई विशेष अवसर हो या कोई त्योहार हो तो वह भी पूड़ी और पकौड़े बनाए बिना पूरे नहीं होते हैं।लेकिन देखा गया है कि हम अपना खाना बनाने के लिए अक्सर एक ही तेल का इस्तेमाल बार-बार करते हैं, ताकि लागत भी बचे और तेल की बर्बादी भी कम से कम हो। सिर्फ हमारे घर में ही नहीं, बल्कि सड़क किनारे खाने की दुकानों, होटलों और रेस्तरांओं में हर जगह तेल का दोबारा इस्तेमाल हो रहा है। लेकिन, एक ही खाना पकाने के तेल को बार-बार इस्तेमाल करने के दुष्परिणामों के बारे में कभी कोई बात नहीं करता।आइए आज समझते हैं कि जब खाना पकाने के तेल को बार-बार इस्तेमाल किया जाता है तो क्या होता हैतेल को बार-बार गर्म करने से इसमें टोटल पोलर कंपाउंड (टीपीसी) बनता है जो इसे उपभोग के लिए खराब बना देता है। बार-बार गर्म करने से, खाना पकाने के तेल के पोषण गुणों पर भी काफी गलत असर पड़ता है।खाना पकाने के तेल का दोबारा उपयोग हमारे स्वास्थ्य पर कैसे प्रभाव डालता है?कई अध्ययनों से यह साबित हुआ है कि खाना पकाने के तेल को दोबारा गर्म करने से:इसमें हानिकारक toxins निकलते हैंइसमें ट्रांस-फैट की मात्रा बढ़ जाती हैवह ताजा नहीं रह जाता और इसलिए स्वाद या गंध खराब हो सकती हैकुछ बहुत हानिकारक प्रतिक्रियाएँ होने लगते हैंतेल को दोबारा गर्म करना लोगों की सेहत के लिए काफी हानिकारक हो सकता है। इसके बहुत गंभीर हानिकारक प्रभाव हो सकते हैं।खाना पकाने के लिए तेल का उपयोग करते समय हम क्या सावधानियां बरत सकते हैं?तेल को दोबारा गर्म करते समय हानिकारक प्रभावों को कम करने के लिए कुछ उपाय हैं:तेल को ज्यादा देर तक गर्म न करेंभोजन को तलने से पहले उसमें नमक न डालेंContamination को कम करने के लिए तेल में खाने के कणों को जमा होने से रोकें।हालाँकि, दोबारा गर्म किए गए खाना पकाने के तेल के हानिकारक प्रभावों से हमें बचाने में मदद करने के लिए खाद्य तेल के पुन: उपयोग को सख्ती से नियंत्रित करना बेहतर होता है।Source:-1https://www.researchgate.net/publication/336800574_The_Effect_of_Repeatedly_Cooking_Oils_on_Health_and_Wealth_of_a_Country_A_Short_Communication2. https://fssai.gov.in/upload/media/FSSAI_NEws_Oil_Insider_30_09_2019.pdf
1 केले में कितना potassium होता है?
श्रीमती प्रेरणा त्रिवेदी
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पोटैशियम की कमी के नुकसान!
श्रीमती प्रेरणा त्रिवेदी
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क्या आपकी भूख की वजह हैं आपके hormones?
श्रीमती प्रेरणा त्रिवेदी
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Diwali ke badle andaaz: patakhe ya diye?
श्रीमती प्रेरणा त्रिवेदी
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