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Homemade Facepack - घर पर बनाएं फेस पैक!

अगर आप भी glowing त्वचा चाहते हैं लेकिन उसके लिए केमिकल युक्त उत्पाद नहीं लगाना चाहते.. तो यह वीडियो आपके लिए है!!आज हम आपके साथ आपकी glowing त्वचा के लिए एक फेस पैक की रेसिपी share करेंगे और वह भी हल्दी, मुल्तानी मिट्टी, चंदन, केसर आदि जैसे प्राकृतिक और आसानी से उपलब्ध सामग्रियों के उपयोग से।हम बताएंगे कि हर एक ingredient त्वचा को कैसे glow करने में मदद करता है और साथ ही हम बताएंगे इस फेस पैक को बनाने की विधि भी। एक बार इसको आज़माएं, परिणाम देखकर आप आश्चर्य में आ जाएंगे।Glowing त्वचा के लिए फेस पैक के हर एक प्राकृतिक ingredient की मात्रा और लाभ (100 ग्राम):Ingredients को नापते समय आप एक चम्मच का उपयोग कर सकते हैं। 1 छोटा चम्मच 5 ग्राम का होता है!मुल्तानी मिट्टी (15 ग्राम): मुल्तानी मिट्टी blackheads और whiteheads को हटाने, सनबर्न को सही करने, त्वचा को साफ रखना, blood circulation में सुधार करने, रंग को निखारने और त्वचा को glowing प्रभाव देने में मदद करती है।हल्दी (15 ग्राम): हल्दी रक्त को शुद्ध करने में मदद करती है। यह रक्त की खराबी के कारण होने वाले त्वचा रोगों को ठीक करती है। यह त्वचा का रंग हल्का करने में भी मदद करती है। हल्दी उम्र बढ़ने के लक्षणों जैसे झुर्रियों को भी कम करती है।चंदन की लकड़ी (10 ग्राम): चंदन में एंटी-टैनिंग और एंटी-एजिंग गुण होते हैं।केसर (5 ग्राम) : यह त्वचा का रंग हल्का करता है और गोरी और glowing त्वचा देता है।मिल्क पाउडर (15 ग्राम): मिल्क पाउडर सूखी, खुरदुरी त्वचा को लंबे समय तक पोषण प्रदान करता है। यह त्वचा को शानदार चमक प्रदान करता है। यह काले धब्बे, पिगमेंटेशन, मुंहासे आदि को दूर करता है।चावल का आटा (20 ग्राम): चावल का आटा सूजन वाली त्वचा की सतहों को ठंडा करने के लिए उपयोगी है।संतरे का छिलका (10 ग्राम): संतरे के छिलके में तुरंत चमक लाने वाला गुण होता है, यह मुंहासों, झुर्रियों और बुढ़ापे को रोकता है।केले का छिलका (10 ग्राम): केले के छिलके में एंटीफंगल और एंटीबायोटिक दोनों घटक होते हैं।सभी सामग्रियों का सूखा पाउडर बनाकर उपयोग करें। इन्हें सही मात्रा में एक साथ मिलाएं और एक एयर टाइट डिब्बे में रखें।पानी में मिलाकर इसका गाढ़ा पेस्ट बनाएं और ब्रश की मदद से गीले चेहरे पर समान रूप से लगाएं। इसे सूखने के लिए 15 मिनट के लिए छोड़ दें और गीले कपड़े की मदद से साफ करें।Source:- https://core.ac.uk/download/pdf/335078062.pdf

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पढ़ाई करते समय कैसे जागे रहें? बिना सोए पढ़ाई करने के टिप्स!

क्या कभी ऐसा हुआ है कि आप अभी अभी पढ़ने बैठे हैं, पूरी तैयारी के साथ और आधा घंटा भी नहीं हुआ कि आपको आलस आ रहा है, आपकी पलकें भारी हो रही हैं, और आप बस सो जाना चाहते हो, जबकि आपको पढ़ाई करनी चाहिए।Don't worry इसमें सिर्फ आप ही नहीं हैं, बहुत से लोगों को ऐसा ही होता है।पर ऐसा क्या करें कि पढ़ते वक्त नींद न आए और पढ़ाई पूरी हो जाए?आज के वीडियो में हम ऐसे 5 tips बताएंगे जिसे follow कर के आपको पढ़ते समय नींद नहीं आएगी। आइए start करते हैं:अच्छे से नींद पूरी करें: आप सोच रहे होंगे यहां नींद भगाने की बात हो रही है, और मैं सोने को बोल रही हूँ।वो इसलिए क्योंकि जब आप नींद अच्छे से नहीं लेते तो आपका focus, concentration, और memory weak होने लगती है। तो रोज़ का एक sleep time बनाएँ और कम से कम 6 घंटे की नींद लीजिए। और ध्यान रहे कि आप रोज़ एक समय पे सोने जाएँ, जैसे रोज़ रात 10 बजे से सुबह 4 बजे तक।अच्छी Light में पढ़ाई करें: अगर आप light on कर के और light वाले room में पढ़ाई करते हैं तो आपका brain active रहता है और नींद नहीं आती। लेकिन अगर आप dim light में पढ़ाई करते हैं तो body में melatonin produce होने लगता है जिससे आपको नींद आने लगती है।Bed पे पढ़ाई न करें: वो इसलिए क्योंकि आपके bed पर आपकी body comfortable होने लगती है, और आप सुस्त होने लगते हैं, जिससे आपका focus पढ़ाई से हट कर नींद पे चला जाता है, और आप सो जाते हैं।पानी पीते रहें और हल्का खाना खाएँ: Time to time पानी पीने से आपके brain तक oxygen supply बनी रहती है और आपको नींद नहीं आती, और आपका focus बना रहता है। साथ ही light foods जैसे fruits, dry fruits खाने से आपके brain और body में energy बनी रहती है जिससे आपका brain active रहता है।Chewing gum: Chewing gum चबाने से आपके brain का वो हिस्सा active रहता है जिसमें memory store होती है, जिसे hippocampus कहते हैं। इससे आपका brain alert रहता है और आपको नींद नहीं आती।इसके साथ ही, पढ़ाई के बीच में थोड़ा चलना-फिरना भी याद रखें। Example के लिए, हर 1 घंटे की बैठने के बाद 10-15 मिनट की वॉक करें। इससे आपके शरीर और दिमाग में खून का संचार बेहतर होता है, जिससे आप एक्टिव और जागे रहते हैं।Source:- 1.https://www.researchgate.net/publication/339137655_How_To_Avoid_Sleep_While_Studying 2. https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC4075951/

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बच्चों को अनुशासित रखने के पांच आसान उपाय

आज के समय में parenting एक चुनौती बन गई है और आज के parents अपने बच्चों पर चिल्लाना या उन्हें मारना नहीं चाहते।क्या वे सही कर रहे हैं?जी हां, क्योंकि यह साबित हो चुका है कि "चिल्लाना" और "मारना" कभी भी मदद नहीं करते।लेकिन माता-पिता कभी-कभी इतना परेशान और नाराज हो जाते हैं, कि वह बच्चों पर चिल्लाने लगते हैं और कभी-कभी तो मार भी देते हैं। साथ ही हम कभी-कभी उन्हें “गंदा बच्चा” भी बोल देते हैं। याद रखिए बच्चा कभी भी गंदा या बुरा नहीं होता, अगर कुछ बुरा होता है तो वह है उनका व्यवहार, जिसे देर होने से पहले अनुशासित करने की जरूरत होती है।क्या आपके साथ भी ऐसा होता है और आप भी बाद में बुरा महसूस करते हैं?आज हम आपको बच्चों को अनुशासित करने के लिए पांच आसान उपाय बताएंगे:उनके साथ समय बिताएं: अपने बच्चों के साथ अच्छे संबंध बनाने के लिए उनके साथ विशेष समय बिताना बहुत जरूरी है। चाहे सिर्फ 10 या 20 मिनट का ही समय हो लेकिन उसमें आपको टीवी या मोबाइल बंद कर देना है और सिर्फ अपने बच्चों पर पूरा ध्यान देना है।वे जो अच्छा कर रहे हैं उसकी प्रशंसा करें: माता-पिता आमतौर पर गलत व्यवहार को पकड़कर उन्हें सुधारने के लिए बच्चों को समझाने लगते हैं। लेकिन, जब भी हम अपने बच्चों की प्रशंसा करते हैं, तो वे अच्छा महसूस करते हैं। इससे अच्छे व्यवहार को प्रोत्साहित करने में मदद मिलती है।अपनी बात को सीधी तरह रखें: जब भी आप बच्चे से कुछ कहे तो अपनी बात को सीधे तरीके से कहे। जैसे कि अगर आप चाहते हैं कि वे खेलने के बाद अपने खिलौने समेट कर रखे। तो यह न कहें कि "अपने खिलौने यहां मत छोड़ना" बल्कि कहें "खेलने के बाद अपने खिलौने डिब्बे में रख देना"। इससे आपके बच्चे को आपकी अपेक्षाओं के बारे में स्पष्ट जानकारी मिलती है।बच्चों का ध्यान भटकाएँ: ऐसे क्षण में जब आपका बच्चा बहुत चिड़चिड़ा या जिद्दी हो रहा हो, तो उसका ध्यान किसी positive activity की तरफ भटका देना हमेशा अच्छा होता है, जैसे कि उसके साथ थोड़ा खेलना शुरू कर दें या विषय बदल दें या फिर कहीं टहलने चले जाएं। ठीक समय पर ध्यान भटकाना बहुत जरूरी है, इसलिए इससे पहले कि बच्चों का व्यवहार कठोर हो जाए, उसका ध्यान भटका दे। अपने बच्चों के हिसाब से उसका ध्यान भटकाने का सही तरीका चुनें।गलत व्यवहार के परिणामों के बारे में बताएं: अगर वे कोई गलत बात करते हैं तो नाराज होने की बजाय उन्हें इसके परिणाम बताएं। जैसे कि अगर आप चाहते हैं कि वे खेलने जाने से पहले अपना homework पूरा कर लें तो बस कहें "आप अपना homework पूरा किए बिना खेलने के लिए बाहर नहीं जा सकते"। यह उनके लिए एक छोटी सी चेतावनी है कि वे अपना व्यवहार बदल लें।source: https://www.unicef.org/parenting/child-care/how-discipline-your-child-smart-and-healthy-way#:~:text=Use calm consequences&text=Give your child a chance,will end their play time.

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Pregnancy में chai या coffee पीना safe है या नहीं?

Pregnancy एक बहुत ही खुबसूरत journey है जो excitement और सवालों से भरी होती है, ख़ास करके आप क्या खा सकते हैं और क्या नहीं। एक सवाल जो अक्सर आता है, वो है: Pregnancy में चाय या coffee पीना safe है या नहीं?तो, चाय और coffee दोनों ही pregnancy में safe होते हैं अगर सही मात्रा में लिए जाएं। चाय और coffee दोनों में caffeine होता है, और साथ ही cold drinks, dark chocolate, white chocolate में भी caffeine होता है। असल में, चाय में जो caffeine होता है, वो placenta के through baby तक पहुँच जाता है और उसके development पे असर कर सकता है। अगर आप बहुत ज़्यादा caffeine लेते हैं, तो miscarriage और low birth weight के chances बढ़ सकते हैं।तो, pregnancy में आपको कितनी चाय या coffee लेनी चाहिए? American College of Obstetricians and Gynecologists कहता है कि pregnancy में 200mg से ज़्यादा caffeine नहीं लेना चाहिए। चाय में coffee के मुक़ाबले कम caffeine होता है, लगभग 25-80mg एक cup में, लेकिन ये cup के size पे भी depend करता है। 1 cup brewed coffee में 70-140mg caffeine होता है। Cola या किसी भी energy drink में 40-100mg caffeine होता है। Dark chocolate में 5-35mg और milk chocolate में 15mg तक caffeine होता है।तो, जब भी चाय या coffee पिएं, ध्यान रखें कि आप caffeine वाली चीज़ें कम खाएं, ताकि total 200mg से ऊपर न जाए।

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Child abuse क्या होता है? और कितने types के होते हैं?

Hello parents, आज हम बात करेंगे एक बहुत ही सेंसिटिव टॉपिक “child abuse” पे। Abuse.. जिसका मतलब गलत use है, तो सोचिए “child abuse” कितना गलत होगा। हर घर में बच्चे होते हैं, जो हँसते खेलते अच्छे लगते हैं, लेकिन यही बच्चे जब चुप चुप से, और डर डर के जीने लगे, तो मतलब साफ़ है, आपका बच्चा कहीं न कहीं unsafe है, उसके साथ कुछ गलत हो रहा है, वो child abuse का शिकार हो गए हैं और शायद आपसे कह नहीं पा रहे।Child abuse क्या होता है? और कितने types के होते हैं।Child abuse एक ऐसी स्थिति है जिसमें parents, caregivers, या local guardians, जो बच्चे के लिए जिम्मेदार होते हैं, उन्हें या तो नुकसान पहुंचाते हैं या उनकी ठीक से देखभाल नहीं करते।Child abuse एक बहुत गंभीर मसला है और ये अलग-अलग तरीकों से हो सकता है:Physical abuse: Physical abuse में जान बूझकर बच्चे को चोट पहुंचाना शामिल है। जैसे मारना, धक्का देना, जलाना, या किसी object से बच्चे को चोट पहुंचाना।Physical abuse के signs: बच्चे के शरीर पर बिना वजह के चोटें, जलने के निशान, हड्डी टूटना या cuts देखे जा सकते हैं।Emotional abuse: Emotional abuse में बच्चे को डांटना, चिल्लाना, धमकाना, criticize करना, reject करना या लगातार उसका मजाक उड़ाना शामिल है।Emotional abuse के signs: बच्चे का आत्म-विश्वास कम हो जाना, उदासी या depression में रहना देखा जा सकता है।Sexual abuse: Sexual abuse में किसी भी तरह की sexual activity के लिए बच्चे को मजबूर करना शामिल है, जैसे गलत जगह पर हाथ लगाना या दूसरी कोई sexual activity।Sexual abuse के signs: बच्चा किसी जगह या व्यक्ति से डरने लगता है, genital area में दर्द महसूस करता है, बिना वजह के private parts से bleeding होती है, या उम्र से ज्यादा sexual acts का knowledge रखता है।अगर आप अपने बच्चे में ऐसे signs notice करते हैं जैसे कि वो अचानक से चुप हो जाए या किसी जगह या व्यक्ति से डरने लगे, तो उनसे बात करें, उन्हें समझें और उन्हें जो support और care चाहिए, वो दें।soutce: https://www.qld.gov.au/community/getting-support-health-social-issue/support-victims-abuse/child-abuse/what-is-child-abuse/child-abuse-types https://www.ncbi.nlm.nih.gov/books/NBK459146/#:~:text=The World Health Organization

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अपने माता-पिता को अकेला मत छोड़िए! उनसे बात कीजिए।

Senior citizens यानी वो लोग जिनकी उम्र 60 साल से ज्यादा होती है, उनमें अकेलापन और social isolation काफ़ी ज़्यादा पाया जाता है।Loneliness का मतलब लोगों के भीड़ में होके भी अकेला महसूस करना होता है।Social isolation का मतलब है कि, कोई इंसान जिसको उसके परिवार वालों ने, या जान-पहचान वालों ने अकेला छोड़ दिया हो।American journal के एक review study के मुताबिक, ऐसे लोगों में भूलने की बीमारी का risk 50 गुना बढ़ जाता है, साथ ही heart disease से होने वाली मौत का risk 29% बढ़ जाता और premature death यानी समय से पहले होने वाली मौत का risk भी बढ़ जाता है।Senior citizens में अकेले होने के कारण हैं:बच्चे parents के साथ नहीं रहते या फिर घर से दूर रहते होंअपने partner यानी husband या wife की death हो चुकी होजान-पहचान वाले या दोस्तों की death हो चुकी होकोई बात करने को नहीं होताSociety में ज़्यादा लोगों को जानते नहीं हैंया retirement के बाद घर पे अकेले होऔर रोज़ाना कोई भी ऐसा काम ना करना जिससे आप busy रह सकेंये सारे problems हमारे parents, grand parents यानी senior citizens में अकेलापन या social isolation का कारण होते हैं। और यही अकेलापन और social isolation के कारण parents में depression, anxiety और suicide का rate भी बहुत ज़्यादा है।इसलिए ज़रूरी है कि हम अपने parents या grand parents से बात करते रहें, उनके साथ time spend करें, उनको किसी काम में busy रखें, या फिर उनके health के लिए उन्हें किसी yoga class में join करवा दें ताकि वो खुद को अकेला महसूस न करें और healthy रह सकें।

शॉर्ट्स

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Zyada nimbu pani peene ke nuksan kya hain?

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Dr. Beauty Gupta

Pharmacy Practice and Pharmacology

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Nakhunon par safed line kyun hote hain?

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Dr. Beauty Gupta

Pharmacy Practice and Pharmacology

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Bachchon ko cold drink kyun nahi peena chahiye?

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Dr. Beauty Gupta

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रोजाना ghee खाने से क्या होता है?

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Dr. Beauty Gupta

Pharmacy Practice and Pharmacology

अनुभव

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Apr 24, 2024

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Apr 24, 2024

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Anita bhaduri

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Neha Kumari